“नमस्कार दोस्तों, Electrical Rojgar portel में आपका स्वागत है!”
👉 “आज हम इन 3 बिन्दुओं पर विस्तार से बात करेंगे –
1️⃣ प्राथमिक चिकित्सा (First Aid)
2️⃣ कृत्रिम श्वसन प्रणालियाँ (Artificial Respiration)
3️⃣ CPR (Cardiopulmonary Resuscitation)
” तो चलिए शुरू करते हैं!”

Table of Contents
उद्योगों में प्राथमिक चिकित्सा
👷♂️ “उद्योगों में काम के दौरान दुर्घटनाएँ और स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थितियाँ आ सकती हैं। ऐसे में, प्राथमिक चिकित्सा और कृत्रिम श्वसन तकनीकों का ज्ञान जीवन बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।”

🔹 1. प्राथमिक चिकित्सा का महत्व
✅ तत्काल राहत: यह घायल व्यक्ति की हालत बिगड़ने से रोकती है।
✅ जीवन रक्षा: गंभीर मामलों में जीवन रक्षक साबित हो सकती है।
✅ आत्मविश्वास: यह आपात स्थिति में सही प्रतिक्रिया में मदद करती है।
🔹 2. प्राथमिक चिकित्सा किट
📦 “हर उद्योग में प्राथमिक चिकित्सा किट उपलब्ध होनी चाहिए। इसमें शामिल होना चाहिए –
- रोगाणुरोधक (Antiseptic)
- पट्टियाँ, गॉज पैड, टेप
- दस्ताने, कैंची, दर्द निवारक दवाएं
*CPR मास्क, थर्मामीटर, आंख धोने का घोल।”

🔹 3. सामान्य प्राथमिक चिकित्सा स्थितियां और उपचार
▶️ रक्तस्राव: “दबाव डालें, पट्टी बांधें, और हिस्सा ऊपर उठाएं।”
▶️ जलन: “ठंडे पानी से धोएं, पट्टी बांधें, क्रीम न लगाएं।”
▶️ सांस की कठिनाई: “व्यक्ति को आराम से बिठाएं, मदद के लिए तैयार रहें।”
▶️ दिल का दौरा: “सीपीआर शुरू करें।”
🎯 ABC का महत्व:
- A – Airway (वायुमार्ग): वायुमार्ग खुला रखें।
- B – Breathing (श्वास): देखें, सुनें और महसूस करें।
- C – Circulation (परिसंचरण): CPR शुरू करें।
यह एक सरल और याद रखने में आसान तरीका है जिससे प्राथमिक चिकित्सा देने वाले व्यक्ति यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि वे जीवन रक्षक तकनीकों का पालन कर रहे हैं।यह गंभीर रूप से बीमार या घायल लोगों की देखभाल करने के लिए एक व्यवस्थित दृष्टिकोण प्रदान करता है।
ABC यह यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि सबसे महत्वपूर्ण समस्याओं को सबसे पहले संबोधित किया जाए।
उदाहरण:मान लीजिए कि आप एक व्यक्ति को बेहोश पाते हैं : आप A – (वायुमार्ग): सबसे पहले, आप व्यक्ति के सिर को थोड़ा पीछे झुकाकर और ठोड़ी को ऊपर उठाकर यह सुनिश्चित करेंगे कि उसका वायुमार्ग खुला है।
B (श्वास): फिर, आप देखेंगे, सुनेंगे और महसूस करेंगे कि व्यक्ति सांस ले रहा है या नहीं। यदि वह सांस नहीं ले रहा है, तो आप कृत्रिम श्वसन शुरू करेंगे।
C (परिसंचरण): अंत में, यदि वह सांस नहीं ले रहा है, तो आप छाती को दबाना शुरू करेंगे (CPR)।
इस प्रकार, ABC प्राथमिक चिकित्सा में एक मूलभूत अवधारणा है जो आपातकालीन स्थितियों में व्यक्तियों की मदद करने में महत्वपूर्ण है।

कृत्रिम श्वसन प्रणालियाँ
“अब बात करते हैं कृत्रिम श्वसन प्रणालियों की।”
कृत्रिम श्वसन प्रणालियाँ क्या होती है
कृत्रिम श्वसन, जिसे सहायक श्वसन भी कहा जाता है, एक आपातकालीन प्रक्रिया है जो उन व्यक्तियों के लिए आवश्यक है जो सांस लेने में असमर्थ हैं या जिनकी सांसें अपर्याप्त हैं। यह तकनीक तब लागू की जाती है जब किसी व्यक्ति का शरीर अपने आप पर्याप्त ऑक्सीजन प्राप्त करने में विफल रहता है, जिससे जीवन को खतरा हो सकता है।
कृत्रिम श्वसन का उद्देश्य
कृत्रिम श्वसन का उद्देश्य फेफड़ों में ऑक्सीजन पहुंचाना और कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालना है, जब तक कि व्यक्ति स्वतंत्र रूप से सांस लेने में सक्षम न हो जाए।
👉 “कृत्रिम श्वसन की आवश्यकता कब होती है?“
कृत्रिम श्वसन की आवश्यकता निम्नलिखित परिस्थितियों में हो सकती है:
बेहोशी: – जब व्यक्ति बेहोश हो और सांस न ले रहा हो।
दम घुटना: जब किसी वस्तु से वायुमार्ग अवरुद्ध हो जाए।
पानी में डूबना: जब फेफड़ों में पानी भर जाए।
बिजली का झटका: जब विद्युत झटके के कारण सांस रुक जाए।
सांस की गंभीर बीमारियाँ: जैसे कि अस्थमा का गंभीर दौरा या निमोनिया।
जहरीली गैसों का संपर्क: जब व्यक्ति जहरीली गैसों के संपर्क में आए।
दिल का दौरा: जब दिल की धड़कन रुक जाए और सांस भी रुक जाए।
कृत्रिम श्वसन की तकनीकें
सिल्वेस्टर विधि और शेफर विधि दोनों ही कृत्रिम श्वसन (Artificial Respiration) की पुरानी तकनीकें हैं, जिनका उपयोग कभी उन लोगों की मदद के लिए किया जाता था जो सांस लेने में असमर्थ थे।
हालाँकि, आधुनिक चिकित्सा में इन विधियों का उपयोग अब बहुत कम हो गया है क्योंकि बेहतर और अधिक प्रभावी तकनीकें विकसित हो गई हैं,फिर भी, इन विधियों के बारे में जानना ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है।
🔹 आधुनिक और पारंपरिक कृत्रिम श्वसन विधियाँ:
2 . सिल्वेस्टर विधि
1️⃣ सिल्वेस्टर विधि: “19वीं शताब्दी की विधि जिसमें हाथों की गति से सांस बहाल की जाती थी।”
यह विधि 19वीं शताब्दी में विकसित की गई थी और इसे छाती की गति को प्रेरित करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। इसमें रोगी को पीठ के बल लिटाया जाता था, और बचावकर्ता उसके हाथों को हिलाकर सांस लेने में मदद करता था।
प्रक्रिया:स्थान: रोगी को एक समतल सतह पर पीठ के बल लिटाएं।
स्थिति: बचावकर्ता रोगी के सिर के पीछे घुटने टेककर बैठता था।
हाथ: रोगी के दोनों हाथों को सिर के ऊपर उठाया जाता था और फिर छाती की ओर लाया जाता था। यह क्रिया छाती को ऊपर उठाने और सांस लेने को प्रोत्साहित करने में मदद करती थी।
दोहराव: इस प्रक्रिया को बार-बार दोहराया जाता था।
सिल्वेस्टर विधि के नुकसान:यह विधि काफी थकाऊ थी। इसे अकेले करना मुश्किल था। यह मुंह से मुंह श्वसन और सीपीआर जितना प्रभावी नहीं थी।
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2. शेफर विधि (Shafer Method)
2️⃣ शेफर विधि: “पीठ को दबाकर श्वसन में मदद की जाती थी।”
शेफर विधि को 19वीं शताब्दी के अंत में विकसित किया गया था। इसमें रोगी को पेट के बल लिटाया जाता था और बचावकर्ता उसकी पीठ को दबाकर सांस लेने में मदद करता था।
प्रक्रिया: – स्थान: रोगी को पेट के बल लिटाएं।
स्थिति: बचावकर्ता रोगी की पीठ के पास घुटने टेककर बैठता था।
दबाव: बचावकर्ता अपनी हथेलियों को रोगी की पीठ के निचले हिस्से पर रखता था और उसे दबाव डालता था, जिससे हवा फेफड़ों से बाहर निकलती थी।
रिहाई: दबाव को हटा लिया जाता था, जिससे छाती फिर से फैलती थी और हवा अंदर जाती थी।
दोहराव: इस प्रक्रिया को बार-बार दोहराया जाता था।
शेफर विधि के नुकसान:यह विधि भी थकाऊ और कम प्रभावी थी।यह पेट और छाती पर चोट लगने का खतरा बढ़ाती थी।यह उन लोगों के लिए उपयुक्त नहीं थी जिन्हें पेट या छाती में चोट लगी हो।
❌ “हालाँकि ये विधियाँ थकाऊ और कम प्रभावी थीं।”
✅ आधुनिक तकनीकें:
1. मुंह से मुंह श्वसन (Mouth-to-mouth):
- व्यक्ति के मुंह को बंद करें, धीरे-धीरे सांस फूंकें, छाती की गति देखें।
मुंह से मुंह श्वसन (Mouth-to-mouth resuscitation): यह सबसे आम और पुरानी कृत्रिम श्वसन तकनीक है। इसमें बचावकर्ता व्यक्ति के मुंह में सांस फूंकता है ताकि फेफड़ों तक हवा पहुंच सके।
प्रक्रिया:
- सबसे पहले, व्यक्ति को पीठ के बल लिटाएं, ओर उसके सिर को पीछे की ओर झुकाएं और ठोड़ी को ऊपर उठाएं ताकि वायुमार्ग खुल जाए।
- अब अपनी उंगलियों से उसकी नाक को बंद करें।
- अपने मुंह को व्यक्ति के मुंह पर इस प्रकार रखें कि कोई हवा लीक न हो।
- धीरे-धीरे और समान रूप से दो बार सांस फूँके, और देखें कि छाती ऊपर उठ रही है या नहीं।
- हर सांस के बाद अपना मुंह हटाएं और छाती को नीचे आने दें।
- हर 5-6 सेकंड में एक सांस फूँकना जारी रखें, जब तक कि व्यक्ति अपने आप सांस लेना शुरू न कर दे।
2. मुंह से नाक श्वसन (Mouth-to-nose resuscitation):
- यदि मुंह घायल हो, तो नाक से हवा दें।
मुंह से नाक श्वसन यह तकनीक तब उपयोगी होती है जब व्यक्ति का मुंह गंभीर रूप से घायल हो या उसे खोलना मुश्किल हो। इसमें बचावकर्ता व्यक्ति की नाक में सांस फूंकता है।
प्रक्रिया:
- व्यक्ति को पीठ के बल लिटाएं।
- उसके सिर को पीछे की ओर झुकाएं और ठोड़ी को ऊपर उठाएं।
- एक हाथ से उसके जबड़े को बंद करें।
- अपने मुंह को व्यक्ति की नाक पर इस प्रकार रखें कि कोई हवा लीक न हो।
- धीरे-धीरे और समान रूप से दो बार सांस फूँके, और देखें कि छाती ऊपर उठ रही है या नहीं।
- हर सांस के बाद अपना मुंह हटाएं और छाती को नीचे आने दें।
- हर 5-6 सेकंड में एक सांस फूँकना जारी रखें, जब तक कि व्यक्ति अपने आप सांस लेना शुरू न कर दे।
3. अंबु बैग: (Ambu bag)
- “मास्क लगाकर बैग को दबाएं और छाती की गति देखें।”
अंबु बैग या बैग-मास्क वेंटिलेशन: यह एक पोर्टेबल उपकरण है जिसमें एक बैग और एक मास्क होता है। इसे स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा अक्सर उपयोग किया जाता है, लेकिन प्रशिक्षित लोग भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
प्रक्रिया:
- मास्क को व्यक्ति के मुंह और नाक पर अच्छी तरह से रखें।
- बैग को हाथ से दबाकर फेफड़ों में हवा पहुंचाएं।
- छाती की गति को देखें।
- इस प्रक्रिया को हर 5-6 सेकंड में एक बार करें।
कृत्रिम श्वसन देना एक अत्यंत महत्वपूर्ण कौशल है जो किसी व्यक्ति का जीवन बचा सकता है। यह तकनीक उन स्थितियों में उपयोगी है जब कोई व्यक्ति सांस लेने में असमर्थ होता है।
प्रशिक्षित होकर और सही तकनीकों का उपयोग करके, आप किसी आपात स्थिति में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
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सीपीआर (Cardiopulmonary Resuscitation) CPR
अब हम जानेंगे cpr के बारे मे सीपीआर (Cardiopulmonary Resuscitation)
क्या होता है CPR
इसे हिंदी में हृदय और फेफड़ों का पुनर्जीवन कहा जाता है, यह एक जीवन रक्षक तकनीक है जिसका उपयोग तब किया जाता है जब किसी व्यक्ति का हृदय धड़कना बंद कर देता है या वे सांस लेना बंद कर देते हैं।

यह एक आपातकालीन प्रक्रिया है जिसे किसी भी व्यक्ति द्वारा सीखा जा सकता है और यह हृदय गति रुकने और सांस रुकने की स्थिति में जीवन बचाने में मदद कर सकती है।
सीपीआर कब आवश्यक है?
सीपीआर की आवश्यकता तब होती है जब कोई व्यक्ति निम्नलिखित स्थितियों का अनुभव करता है:
हृदय गति रुकना (Cardiac Arrest): जब हृदय अचानक धड़कना बंद कर देता है।
सांस रुकना (Respiratory Arrest): जब व्यक्ति सांस लेना बंद कर देता है।
बेहोशी (Unconsciousness): जब व्यक्ति बेहोश हो और सांस लेने में दिक्कत हो।
पानी में डूबना (Drowning): पानी में डूबने के कारण सांस रुक जाना।
बिजली का झटका (Electric Shock): बिजली के झटके के कारण हृदय गति रुकना या सांस रुकना।
दम घुटना (Choking): दम घुटने के कारण सांस रुकना।
सीपीआर के मुख्य घटक:
सीपीआर में दो मुख्य घटक शामिल हैं:
1.छाती को दबाना (Chest Compressions):यह दिल को रक्त पंप करने और शरीर में रक्त के प्रवाह को बनाए रखने में मदद करता है।इसके लिए व्यक्ति की छाती के केंद्र में (स्तन की हड्डी के निचले हिस्से में) अपने हाथों को रखें और नीचे की ओर दबाव डालें। दबाव लगभग 2 इंच गहरा होना चाहिए और प्रति मिनट 100-120 बार की गति से दिया जाना चाहिए।
कृत्रिम श्वसन (Rescue Breaths):यह व्यक्ति के फेफड़ों में ऑक्सीजन पहुंचाने में मदद करता है।इसके लिए व्यक्ति के मुंह में अपने मुंह को रखें और धीरे से दो बार सांस फूँकें, छाती को ऊपर उठते हुए देखें।यदि आप कृत्रिम श्वसन में सहज नहीं हैं, तो केवल छाती को दबाना भी प्रभावी हो सकता है।
सीपीआर की प्रक्रिया: सीपीआर की प्रक्रिया को संक्षेप में इस प्रकार समझाया जा सकता है .
सुरक्षा: सुनिश्चित करें कि आप और व्यक्ति दोनों सुरक्षित हैं।
जांच: देखें कि क्या व्यक्ति सचेत है। यदि वे बेहोश हैं, तो उन्हें पीठ के बल लिटाएं।
सहायता के लिए बुलाना: तुरंत आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं (जैसे, 112 या 911) को कॉल करें या किसी और से कॉल करने के लिए कहें।
छाती को दबाना: व्यक्ति की छाती के केंद्र में अपने दोनों हाथों को रखें, और तेज गति से 30 बार दबाएं।
कृत्रिम श्वसन: 30 बार छाती दबाने के बाद, व्यक्ति के मुंह में अपने मुंह को रखें और 2 बार सांस फूँकें।
दोहराव: छाती को दबाना और सांस देना (30:2 का अनुपात) तब तक जारी रखें जब तक कि व्यक्ति अपने आप सांस लेना शुरू न कर दे या चिकित्सा सहायता न आ जाए।
लगातार निगरानी: व्यक्ति की स्थिति की लगातार निगरानी करें और चिकित्सा सहायता आने तक सीपीआर जारी रखें।
सीपीआर का महत्व: यह हृदय गति रुकने के बाद मस्तिष्क को नुकसान से बचाने में मदद करता है।यह हृदय गति रुकने की स्थिति में जीवित रहने की संभावना को बढ़ाता है।
यह हर किसी के द्वारा सीखा जा सकता है और किसी भी समय और कहीं भी इस्तेमाल किया जा सकता है। यह आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं के आने तक पीड़ित को जीवित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
निष्कर्ष
निष्कर्ष: सीपीआर एक जीवन रक्षक तकनीक है जिसे हर किसी को सीखना चाहिए। यह एक सरल प्रक्रिया है जिसे आसानी से सीखा जा सकता है और इसका ज्ञान आपात स्थिति में किसी व्यक्ति का जीवन बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
इसलिए, सीपीआर के प्रशिक्षण को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और नियमित अभ्यास किया जाना चाहिए ताकि इसे आवश्यकता पड़ने पर प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके।
इस विडियो मे हमने प्राथमिक चिकित्सा के महत्व को जाना कृत्रिम श्वसन प्रणालियो और CPR के बारे मे विस्तार से जाना
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विनोद कुमार धाकड़ , electricalrojgar.com वेबसाइट पर संपादक की भूमिका मे है । इस वैबसाइट पर इलेक्ट्रिकल ब्रांच ( B. TECH , DIPLOMA , ITI ) के अभ्यर्थियों के लिए STUDY MATERIAL ,ONLINE MOCK TEST , RECRUITMENT INFORMATION अपडेट किए जाते है , उम्मीद करते है आपको इस वैबसाइट से जरूर मदद मिलेगी ।