TOPIC -11 भूमिगत केबल (Underground Cables): संरचना, प्रकार, और परीक्षण – सम्पूर्ण जानकारी Complete information

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भूमिगत केबल (Underground Cables) विद्युत ऊर्जा के संचरण और वितरण के लिए ओवरहेड लाइनों के साथ-साथ भूमिगत केबल एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विशेष रूप से घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्रों में, सुरक्षा और सौंदर्य कारणों से यूजी केबल पसंदीदा विकल्प बनते जा रहे हैं। Underground Cables

Underground Cables

आइए, इस पोस्ट में हम भूमिगत केबलों की दुनिया में गहराई से उतरें और उनकी संरचना, प्रकार, बिछाने की विधियों और परीक्षण को समझें।N Underground Cables

भूमिगत केबल क्या हैं? (What are UG Cables?)

भूमिगत केबल वे इंसुलेटेड कंडक्टर होते हैं जिन्हें जमीन के नीचे स्थापित किया जाता है। इनकी बनावट ऐसी होती है कि ये बाहरी दबाव, नमी और रासायनिक प्रभावों को झेल सकें।

इनमें आमतौर पर एक या एक से अधिक कंडक्टर होते हैं, जिन्हें उचित इंसुलेशन और सुरक्षात्मक परतों से ढका जाता है।

लाभ और हानि (Advantages and Disadvantages) Underground Cables

लाभ:

  • तूफान या बिजली जैसी प्राकृतिक आपदाओं से क्षति की कम संभावना।
  • रखरखाव का खर्च कम।
  • दोष आने के अवसर कम।
  • बेहतर बाहरी दिखावट (कोई तार नहीं दिखते)।

हानि:

  • प्रारंभिक लागत बहुत अधिक होती है।
  • जोड़ों (Joints) की कीमत अधिक होती है।
  • उच्च वोल्टेज पर इंसुलेशन प्रदान करना एक चुनौती हो सकती है।
  • फॉल्ट ढूंढना और मरम्मत करना जटिल और महंगा होता है।

यूजी केबल की आवश्यकताएं (Necessity Requirements)

एक प्रभावी यूजी केबल के लिए कुछ बुनियादी आवश्यकताएं होती हैं: Underground Cables

  1. कंडक्टर: उच्च चालकता वाला टिंड तांबा या एल्यूमीनियम का होना चाहिए।
  2. आकार: इतना होना चाहिए कि बिना गर्म हुए आवश्यक लोड करंट वहन कर सके और वोल्टेज ड्रॉप स्वीकार्य सीमा में रहे।
  3. इंसुलेशन: वोल्टेज स्तर के अनुसार पर्याप्त मोटाई का होना चाहिए।
  4. यांत्रिक सुरक्षा: बिछाते समय होने वाले खिंचाव और दबाव को सहने के लिए मजबूत होना चाहिए।
  5. स्थिरता: रासायनिक और भौतिक रूप से स्थिर पदार्थों का उपयोग होना चाहिए।

यूजी केबल की संरचना (Construction of UG Cables)

Construction of UG Cables

एक सामान्य मल्टी-कोर यूजी केबल में निम्नलिखित परतें होती हैं: Underground Cables

  1. कोर या कंडक्टर (Core or Conductor): यह केबल का मुख्य धारा-वाहक हिस्सा है, जो आमतौर पर फंसे हुए (stranded) टिंड तांबे या एल्यूमीनियम से बना होता है ताकि लचीलापन बना रहे।
  2. इंसुलेशन (Insulation): प्रत्येक कोर को वोल्टेज स्तर के आधार पर उपयुक्त मोटाई वाले इंसुलेटिंग पदार्थ (जैसे इम्प्रग्नेटेड पेपर, PVC, XLPE) से ढका जाता है।
  3. धातु कवच या शीथ (Metallic Sheath): इंसुलेशन के ऊपर सीसा (Lead) या एल्यूमीनियम की एक परत चढ़ाई जाती है जो केबल को नमी, गैसों और अन्य हानिकारक तरल पदार्थों से बचाती है।
  4. बेडिंग (Bedding): धातु कवच को आर्मरिंग से होने वाली यांत्रिक क्षति और क्षरण (corrosion) से बचाने के लिए जूट या हेसियन टेप जैसी रेशेदार सामग्री की परत लगाई जाती है।
  5. आर्मरिंग (Armouring): यह केबल को बिछाने और संचालन के दौरान यांत्रिक चोटों से बचाने के लिए गैल्वेनाइज्ड स्टील के तारों या टेप की एक या दो परतें होती हैं।
  6. सर्विंग (Serving): यह सबसे बाहरी परत होती है, जो जूट जैसे रेशेदार पदार्थ से बनी होती है और आर्मरिंग को वायुमंडलीय परिस्थितियों से बचाती है।

यूजी केबल के प्रकार (Types of UG Cables)

यूजी केबल को मुख्य रूप से उनके वोल्टेज स्तर और संरचना के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है:

Types of UG Cables
यूजी केबल को मुख्य रूप से उनके वोल्टेज स्तर और संरचना के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है:
  • वोल्टेज के आधार पर:
    • लो-टेंशन (LT) केबल: 1.1 kV तक
    • हाई-टेंशन (HT) केबल: 11 kV तक
    • सुपर-टेंशन (ST) केबल: 22 kV से 33 kV तक
    • एक्स्ट्रा हाई-टेंशन (EHT) केबल: 33 kV से 66 kV तक
    • एक्स्ट्रा सुपर वोल्टेज केबल: 132 kV से अधिक
  • संरचना के आधार पर (मुख्यतः 3-फेज सेवा के लिए):
    • बेल्टेड केबल (Belted Cables – 11 kV तक): इनमें तीनों कोर को इंसुलेट करने के बाद एक साथ पेपर बेल्ट से लपेटा जाता है (चित्र 3)।
    • स्क्रीन्ड केबल (Screened Cables – 33 kV से 66 kV तक): प्रत्येक कोर पर इंसुलेशन के ऊपर एक मेटालिक स्क्रीन (आमतौर पर छिद्रित एल्यूमीनियम फॉयल या कॉपर टेप) होती है। यह डाइइलेक्ट्रिक स्ट्रेस को बेहतर ढंग से वितरित करती है और कोर-टू-कोर फॉल्ट की संभावना कम करती है। इसके दो मुख्य प्रकार हैं:
      • H-टाइप केबल
      • S.L. (सेपरेट लेड) टाइप केबल
  • दबाव केबल (Pressure Cables – 66 kV से अधिक): बहुत उच्च वोल्टेज पर, इंसुलेशन में बनने वाले वॉयड्स (Voids) को खत्म करने के लिए केबल के अंदर दबाव (तेल या गैस का) बनाया जाता है।
    • ऑयल-फिल्ड केबल
    • गैस-प्रेशर केबल

केबल बिछाना और जोड़ना (Laying and Jointing)

यूजी केबल बिछाने की मुख्य विधियाँ हैं:

  1. सीधे जमीन में (Direct laying)
  2. नालिका प्रणाली में (Draw-in system in ducts/troughs)
  3. ठोस प्रणाली में (Solid system) – अब कम प्रचलित

केबल की विश्वसनीयता के लिए सही ढंग से जोड़ (Jointing) बनाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। जोड़ों को कंडक्टर निरंतरता, इंसुलेशन अखंडता और यांत्रिक सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। सीधे जोड़ और टी-जोड़ (Tee joint ) सामान्य प्रकार हैं।

केबल दोष और परीक्षण (Cable Faults and Testing)

Underground Cables , केबलों में मुख्य रूप से दो प्रकार के दोष हो सकते हैं:

  1. ग्राउंड फॉल्ट (Ground Fault): जब किसी कोर का इंसुलेशन फेल हो जाता है और करंट लेड शीथ या अर्थ में प्रवाहित होने लगता है।
  2. शॉर्ट-सर्किट फॉल्ट (Short Circuit Fault): जब दो या दो से अधिक कोर के बीच इंसुलेशन फेल हो जाता है और वे आपस में संपर्क में आ जाते हैं।

इन दोषों का स्थान पता लगाने के लिए मरे लूप टेस्ट और वरले लूप टेस्ट जैसी विधियों का उपयोग किया जाता है, जो व्हीटस्टोन ब्रिज के सिद्धांत पर काम करती हैं।

भूमिगत केबल आधुनिक विद्युत प्रणालियों का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। हालांकि इनकी स्थापना और मरम्मत महंगी और जटिल हो सकती है, लेकिन इनके द्वारा प्रदान की जाने वाली सुरक्षा और विश्वसनीयता, विशेषकर शहरी वातावरण में, इन्हें एक बेहतर विकल्प बनाती है। केबल का सही चयन, उचित स्थापना तकनीक और नियमित रखरखाव इनकी लंबी और कुशल सेवा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।


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  • प्रेशर केबल (Pressure Cable)
  • ऑयल फिल्ड केबल (Oil-filled Cable)
  • गैस प्रेशर केबल (Gas Pressure Cable)Underground Cables
  • केबल इंसुलेशन (Cable Insulation)
  • केबल आर्मरिंग (Cable Armouring)
  • केबल लेड शीथ (Cable Lead Sheath)
  • केबल बिछाना (Cable bichhana / Cable laying)
  • केबल जोड़ना (Cable jodna / Cable jointing)
  • केबल फॉल्ट (Cable Fault)
  • केबल परीक्षण (Cable Parikshan / Cable Testing)
  • मरे लूप टेस्ट (Murray Loop Test)
  • वरले लूप टेस्ट (Varley Loop Test)
  • इलेक्ट्रीशियन पावर केबल (Electrician Power Cable)

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