अर्धचालक SEMICONDUCTOR – अर्धचालको का प्रयोग मूल रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स में होता है , इनके अलग अलग गुणों के आधार पर इनसे कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बनाये जाते है। इस पोस्ट हम हिन्दी मे जानेंगे की –
- अर्धचालक किसे कहते है
- structure of semiconductor अर्धचालक की बनावट कैसी होती है
- IDEAL SEMICONDUCTOR आदर्श अर्धचालक क्या होता है
- intrinsic semiconductor आंतरिक अर्धचालक
- extrinsic semiconductor बाहरी अर्धचालक
- p and n type semiconductor, p or n प्रकार अर्धचालक
what is semiconductor अर्धचालक किसे कहते है ।
अर्धचालक जैसा की नाम से ही स्पष्ट है अर्धचालक न तो पूरी तरह चालक होते है ओर न ही पूरी तरह कुचालक होते है इसलिए इन्हे अर्धचालक कहा जाता है ।
अर्धचालक समान्यतः NTC (NEGATIVE TEMPRATURE COFICIANT) नकारात्मक ताप गुणांक स्वभाव के होते है , तापमान बढ्ने पर इनका प्रतिरोध कम होता है ।
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structure of semiconductor अर्धचालक की बनावट
आवर्त सारणी मे तत्वो की परमाणु संख्या के आधार पर देखा जाए तो अर्धचालक पदार्थ चतुसंयोजी तत्व होते है , इसके अनुसार इनके अंतिम कक्षा ( संयोजी कक्ष ) मे 4 मुक्त इलेक्ट्रान होते है ।
उदाहरण – कार्बन , सिलिकान , जर्मेनियम आदि ।
BAND THEORY के अनुसार अर्धचालक मे संयोजी बांध ( VALANCE BAND )ओर चालन बंध ( CONDUCTION BAND ) के बीच गेप 1 इलेक्ट्रान वॉल्ट होता है ।
1 इलेक्ट्रान वॉल्ट क्या होता है ।
IDEAL SEMICONDUCTOR आदर्श अर्धचालक
IDEAL SEMICONDUCTOR आदर्श अर्धचालक की बात करे तो इसके चालन बंध मे 1 भी इलेक्ट्रॉन नही होता , इस कारण से यह अचालक की भांति व्यवहार करता है ।
शून्य डिग्री सेल्सियस तापमान पर IDEAL SEMICONDUCTOR आदर्श अर्धचालक एक कुचालक की भांति व्यवहार करता है ।
temperature effect on semiconductor अर्धचालको पर तापमान का प्रभाव –
तापमान के प्रति अर्धचालक बहुत अधिक संवेदनशील होते है , तापमान के बदलाव से अर्धचालको के गुणो मे परिवर्तन होता है ।
तापमान घटने पर अर्धचालको का प्रतिरोध बढ़ता है ओर तापमान बढ्ने पर अर्धचालको का प्रतिरोध घटता है ।
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(DOPING) मादन किसे कहते है ।
शुद्ध अर्धचालको में अशुद्धि मिलाकर उन्हें p ओर n प्रकार के अर्धचालक बनाए जाते हैं इस प्रक्रिया को डोपिंग या मदन करते हैं डोपिंग करने से अर्धचालक की चालकता बढ़ती है और प्रतिरोध घटता है।
अर्धचालक पदार्थो मे मिलावट ( DOPING ) बढ्ने पर भी इनका प्रतिरोध एकाएक कम हो जाते है ।
intrinsic semiconductor इंटरेंसिक अर्धचालक
वे पदार्थ जिनके परमाणु की अंतिम कक्षा में 4 इलेक्टान पाए जाते है। ex . सिलिकॉन ,जर्मेनियम ,कार्बन आदि। इन्हे शुद्ध या नेज अर्धचालक भी कहते है।
एक्स्ट्रेंसिक अर्धचालक { extrensic semiconductor }
शुद्ध अर्ध चालकों में डोपिंग [अशुद्धि मिलाकर ] करके extrensic semiconductor का निर्माण किया जाता है।अशुद्धि मिलाने से अर्धचालक की चालकता बढ़ती हे।ये अशुद्धि मिलाने के आधार पर 2 प्रकार के होते है। जो p ओर n प्रकार के अर्धचालक कहलाते है ।
N टाइप सेमीकंडक्टर
N प्रकार के अर्धचालक निर्माण का उद्देश्य है की इनमे{ NEGATIVE CHARGE CARRER } ऋणावेश वाहक मेजोरिटी में रहे व धनात्मक आवेश वाहक माइनॉरिटी में रहे।
{ इलेक्टान ऋणात्मक आवेश वाहक व होल्स धनात्मक आवेश वाहक कहलाते है। } इनमे अशुद्धि रूप में ऐसे तत्व को मिलाया जाता है जिनकी अंतिम कक्षा में 5 इलेक्ट्रॉन हो।,इन्हे दाता प्रकार की अशुद्धि भी कहते है ,क्यों की यह अस्टक पूरा होने के बाद जो इले. बचता हे उसे त्याग देती है। जैसे {P } फास्फोरस , {AS }आर्सेनिक ,{BI } बिस्मथ ,{SB } ऐंटिमनी आदि ।
P टाइप सेमीकंडक्टर
P प्रकार के अर्धचालक निर्माण का उद्देश्य है की इनमे{ NEGATIVE CHARGE CARRER } ऋणावेश वाहक माइनॉरिटी में रहे व धनात्मक आवेश वाहक मेजोरिटी में रहे।
इनमे अशुद्धि रूप में ऐसे तत्व को मिलाया जाता है जिनकी अंतिम कक्षा में 3 इलेक्ट्रॉन हो। इन्हे ग्राही प्रकार की अशुद्धि भी कहते है।
जैसे {AL } अलुमिनियम , {B }बोरान , {IN }इंडियम , {GA }गेलियम
N व P टाइप सेमीकंडक्टर एक दूसरे से ठीक विपरीत गुणों वाले है।
सारांश
इस पोस्ट में हमने जाना अर्धचालक किसे कहते हैं, अर्धचालक की बनावट कैसी होती है, आदर्श अर्धचालक क्या होता है, आंतरिक अर्धचालक , बाह्य अर्धचालक एवं N ओर P प्रकार के अर्धचालक आदि । आपको यह जानकारी कैसी लगी कमेन्ट करके जरूर बताए ।
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विनोद कुमार धाकड़ , electricalrojgar.com वेबसाइट पर संपादक की भूमिका मे है । इस वैबसाइट पर इलेक्ट्रिकल ब्रांच ( B. TECH , DIPLOMA , ITI ) के अभ्यर्थियों के लिए STUDY MATERIAL ,ONLINE MOCK TEST , RECRUITMENT INFORMATION अपडेट किए जाते है , उम्मीद करते है आपको इस वैबसाइट से जरूर मदद मिलेगी ।