Capacitor MCQ – 30 Top Capacitor MCQ electrical engineering https://electricalrojgar.com/
What is CAPACITOR – केपेसिटर को आम बोलचाल की भाषा मे कंडेंसर भी कहा जाता है, हिन्दी मे केपेसिटर को संधारित्र कहते है , यह इलैक्ट्रिकल ओर इलेक्ट्रॉनिक्स का मूलभूत कम्पोनेंट है , CAPACITOR का प्रयोग कई उपकरणो मे होता है । CAPACITOR in Hindi

कैपेसिटर की परिभाषा
कैपेसिटर एक महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक घटक है, जिसका उपयोग विद्युत चार्ज को एकत्रित करने और स्टोर करने के लिए किया जाता है। इस उपकरण का उपयोग विभिन्न विद्युत सर्किट और सिस्टम में किया जाता है। आज हम कैपेसिटर से संबंधित एकाधिक-choice प्रश्न (MCQ) के माध्यम से आपके ज्ञान का परीक्षण करेंगे।
कैपेसिटर के प्रकार
कैपेसिटर कई प्रकार के होते हैं, जैसे कि सिरेमिक कैपेसिटर, इलेक्ट्रोलिटिक कैपेसिटर, और तांबे के कपास वाले कैपेसिटर। इनमें से प्रत्येक का उपयोग अलग-अलग अनुप्रयोगों में किया जाता है और इनकी विशेषताएं भी भिन्न होती हैं। इस MCQ सीरीज में, हम विभिन्न कैपेसिटरों के प्रकारों और उनकी विशेषताओं पर सवाल पूछेंगे, जिससे आपको कैपेसिटर की विस्तृत जानकारी प्राप्त होगी।
MCQ के माध्यम से सीखें
हमारे MCQ दिए गए सवालों का उत्तर देकर, आप कैपेसिटर के सिद्धांत को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं। सही उत्तर की पहचान करना न केवल आपकी समझ को बढ़ाता है, बल्कि आपको कैपेसिटर और उसके कार्यप्रणाली के प्रति भी अधिक जागरूक करता है। ये प्रश्न छात्रों एवं पेशेवरों दोनों के लिए शिक्षाप्रद हैं।
Table of Contents
Question 1 दो आवेशों के मध्य लगने वाला बल होता है।
(A) उनके मध्य दूरी के विलोमानुपाती
(B) आवेशों के योग के समानुपाती
(C) आवेशों के वर्ग के विलोमानुपाती
(D) दूरी के वर्ग के विलोमानुपाती
Ans -D
दो आवेशों के मध्य लगने वाला बल आकर्षण या प्रतिकर्षण हो सकता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि दोनों आवेश किस प्रकार के हैं:
समान आवेश: यदि दोनों आवेश धनात्मक या दोनों ऋणात्मक हैं, तो वे एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करेंगे।
विपरीत आवेश: यदि एक आवेश धनात्मक और दूसरा ऋणात्मक है, तो वे एक-दूसरे को आकर्षित करेंगे।
इस बल का परिमाण कूलम्ब के नियम के अनुसार दिया जाता है:
बल ∝ (आवेशों का गुणनफल) / (दूरी)²
या, F = k(q₁q₂/r²)
जहाँ:
F = आवेशों के बीच लगने वाला बल
k = कूलम्ब स्थिरांक
q₁ और q₂ = दो आवेशों के मान
r = आवेशों के बीच की दूरी
याद रखें:
बल का मान दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। यानी, आवेशों के बीच की दूरी बढ़ने पर बल कम हो जाता है और दूरी कम होने पर बल बढ़ जाता है।
आवेशों के मान बढ़ने पर बल का मान भी बढ़ जाता है। Capacitor MCQ
Question 2.किसी धनावेशी विद्युत क्षेत्र में धनावेश लाया जाये तो वह प्रतिकर्षित होता है। क्षेत्र तीव्रता होगी।
(A) दूरी वर्ग के विलोम
(B) दोनों आवेश गुणन के समानुपाती
(C) प्रतिकर्षण बल के समान
(D) प्रतिकर्षण बल से दो गुनी
Ans- c
एक धनावेशी विद्युत क्षेत्र में लाए गए धनावेश पर लगने वाला बल:
प्रतिकर्षण बल: जब एक धनावेश को किसी धनावेशी विद्युत क्षेत्र में लाया जाता है, तो दोनों आवेशों के बीच प्रतिकर्षण बल लगता है। यह इसलिए होता है क्योंकि समान आवेश एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं।
क्षेत्र तीव्रता: विद्युत क्षेत्र की तीव्रता उस बल के बराबर होती है जो एकांक धन आवेश पर लगता है। इसलिए, धनावेशी विद्युत क्षेत्र में धनावेश पर लगने वाला बल जितना अधिक होगा, क्षेत्र की तीव्रता उतनी ही अधिक होगी।
सरल शब्दों में:
धनावेश को धनावेश पसंद नहीं: एक धनावेश दूसरे धनावेश को अपनी ओर नहीं खींचता, बल्कि उसे दूर धकेलता है।
जितना जोर से धकेलेगा, क्षेत्र उतना ही मजबूत: अगर धनावेश को बहुत जोर से धकेला जा रहा है, तो इसका मतलब है कि विद्युत क्षेत्र बहुत मजबूत है।
उदाहरण:
दो चुंबकों के उत्तरी ध्रुवों को पास लाने पर वे एक-दूसरे को दूर धकेलते हैं। यह विद्युत क्षेत्रों के साथ भी होता है।
याद रखें:
विद्युत क्षेत्र एक सदिश राशि है, जिसका मतलब है कि इसकी दिशा भी होती है। धनावेशी विद्युत क्षेत्र की दिशा धनावेश से दूर होती है।Capacitor MCQ
Question 3 संधारित्र धारिता निर्भर करती है।
(A) प्लेट क्षेत्रफल
(B) प्लेटों के मध्य दूरी
(C) परावैद्युत पदार्थ किसय
(D) सभी
Ans – D
संधारित्र की धारिता निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करती है:
प्लेटों का क्षेत्रफल: प्लेटों का क्षेत्रफल जितना अधिक होगा, संधारित्र की धारिता उतनी ही अधिक होगी।
प्लेटों के बीच की दूरी: प्लेटों के बीच की दूरी जितनी कम होगी, संधारित्र की धारिता उतनी ही अधिक होगी।
परावैद्युत पदार्थ: प्लेटों के बीच रखे गए परावैद्युत पदार्थ की परावैद्युतांक जितना अधिक होगा, संधारित्र की धारिता उतनी ही अधिक होगी।
सरल शब्दों में:
बड़ी प्लेटें: अधिक धारिता
प्लेटें पास में: अधिक धारिता
बेहतर परावैद्युत: अधिक धारिता
ध्यान दें: संधारित्र की धारिता प्लेटों पर मौजूद आवेश या प्लेटों के बीच विभवांतर पर निर्भर नहीं करती hai #Capacitor MCQ
Question 4 परावैद्युत पदार्थ होता है।
(A) चालक
(B) अचालक
(C) अर्द्धचालक
(D) कोई नहीं
Ans – B
परावैद्युत पदार्थ
परावैद्युत पदार्थ वे पदार्थ होते हैं जो विद्युत धारा का कुचालक होते हैं, यानी इनके अंदर से विद्युत धारा आसानी से नहीं गुजर सकती। लेकिन जब इन पदार्थों को विद्युत क्षेत्र में रखा जाता है, तो इनमें ध्रुवीकरण होता है। इसका मतलब है कि इन पदार्थ के अणुओं के धनात्मक और ऋणात्मक आवेश अलग-अलग दिशाओं में खिंच जाते हैं।
परावैद्युत पदार्थ के उदाहरण:
* कांच
* प्लास्टिक
* रबर
* हवा
* पानी (शुद्ध)
* तेल
परावैद्युत पदार्थों का उपयोग:
* संधारित्र: संधारित्र में विद्युत ऊर्जा को संचित करने के लिए परावैद्युत पदार्थ का उपयोग किया जाता है।
* विद्युत इन्सुलेशन: तारों और उपकरणों को विद्युत शॉक से बचाने के लिए परावैद्युत पदार्थों का उपयोग किया जाता है।
* माइक्रोवेव ओवन: माइक्रोवेव ओवन में भोजन को गर्म करने के लिए परावैद्युत पदार्थों का उपयोग किया जाता है।
परावैद्युत पदार्थ के गुण:
* विद्युत रोधी: विद्युत धारा का कुचालक।
* ध्रुवीकरण: विद्युत क्षेत्र में रखने पर ध्रुवीकरण होता है।
* ऊर्जा संग्रहण: संधारित्र में विद्युत ऊर्जा को संचित कर सकते हैं।
सरल शब्दों में: परावैद्युत पदार्थ ऐसे पदार्थ होते हैं जो बिजली को नहीं जाने देते हैं, लेकिन बिजली के प्रभाव में आने पर इनमें कुछ खास बदलाव हो जाते हैं। Capacitor MCQ
Question 5. एक संधारित्र 5V देने पर 0.1 C आवेश एकत्र करता है। धारिता का मान क्या होगा। C = Q/V
(A) 0.02 F
(B) 0.5 F
(C) 0.05 F
(D) 0.2 F
Ans – A
एक संधारित्र 5V देने पर 0.1 C आवेश एकत्र करता है। धारिता का मान क्या होगा। C = Q/V
हल:
हमारे पास सूत्र है:
* धारिता (C) = आवेश (Q) / विभवांतर (V)
दिए गए मान:
* Q (आवेश) = 0.1 C
* V (विभवांतर) = 5 V
अब हम सूत्र में मान रखते हैं:
* C = 0.1 C / 5 V
* C = 0.02 F
अतः संधारित्र की धारिता 0.02 फैरड है।
स्पष्टीकरण:
* धारिता (Capacitance): यह किसी चालक या संधारित्र की वह क्षमता है जिससे वह विद्युत आवेश को संग्रहित कर सकता है। इसका मात्रक फैरड (F) होता है।
* आवेश (Charge): विद्युत आवेश किसी पदार्थ का एक मूल गुण है जो विद्युत क्षेत्रों के साथ अंतःक्रिया करता है। इसका मात्रक कूलॉम (C) होता है।
* विभवांतर (Potential difference): दो बिन्दुओं के बीच विद्युत विभव में अंतर को विभवांतर कहते हैं। इसका मात्रक वोल्ट (V) होता है।Capacitor MCQ
उदाहरण के लिए:
एक संधारित्र को 5 वोल्ट की बैटरी से जोड़ने पर वह 0.1 कूलॉम का आवेश एकत्र करता है। इसका अर्थ है कि संधारित्र 5 वोल्ट के विभवांतर पर 0.1 कूलॉम का आवेश संग्रहित करने की क्षमता रखता है।
Question 6. उच्च धारिता प्राप्त करने के लिए धारित की अचालक परत की परमिटीविटी होनी चाहिए।
(A) उच्च
(B) निम्न
(C) शून्य
(D) इकाई
Ans- A
उच्च धारिता प्राप्त करने के लिए धारित की अचालक परत की परमिटिविटी अधिक होनी चाहिए।
स्पष्टीकरण:
* परमिटिविटी: किसी पदार्थ की विद्युत क्षेत्र को संचित करने की क्षमता को परमिटिविटी कहते हैं।
* धारिता: किसी चालक की वह क्षमता है जिसके द्वारा वह आवेश को संचित कर सकता है।
* अचालक परत: संधारित्र में धातु की प्लेटों के बीच की जगह को भरने के लिए अचालक पदार्थ की परत का उपयोग किया जाता है।
क्यों अधिक परमिटिविटी?
* अधिक ध्रुवीकरण: उच्च परमिटिविटी वाले पदार्थ अधिक ध्रुवीकृत होते हैं, अर्थात उनके अणुओं के धनात्मक और ऋणात्मक भाग आसानी से अलग हो जाते हैं।
* अधिक विद्युत क्षेत्र: ध्रुवीकरण के कारण अचालक परत में एक अतिरिक्त विद्युत क्षेत्र उत्पन्न होता है जो कि बाहरी विद्युत क्षेत्र के विपरीत दिशा में होता है।
* अधिक आवेश संग्रहण: यह अतिरिक्त विद्युत क्षेत्र धातु की प्लेटों पर अधिक आवेश संचित करने में मदद करता है।
निष्कर्ष:
अतः, उच्च परमिटिविटी वाली अचालक परत का उपयोग करके हम संधारित्र की धारिता को बढ़ा सकते हैं।
उदाहरण:
* सिरेमिक, कांच और पानी उच्च परमिटिविटी वाले पदार्थ हैं। इन्हें संधारित्र में अचालक परत के रूप में उपयोग किया जाता है।
अन्य कारक जो धारिता को प्रभावित करते हैं:
* प्लेटों का क्षेत्रफल: प्लेटों का क्षेत्रफल बढ़ाने पर भी धारिता बढ़ती है।
* प्लेटों के बीच की दूरी: प्लेटों के बीच की दूरी कम करने पर धारिता बढ़ती है।
अतिरिक्त जानकारी:
* परमिटिविटी एक भौतिक राशि है और इसका मात्रक फैरड/मीटर होता है।
* धारिता का मात्रक फैरड होता है।Capacitor MCQ
Question 7. 40Mf समांतर में जुड़े हुए हैं तुल्य धारिता क्या होगी |
(A) 160 µF
(C) 40 µF
(B) 10 µF
(D) 1 F
Ans – A
समान्तर क्रम में जुड़े संधारित्रों की तुल्य धारिता
जब समान धारिता वाले संधारित्र समान्तर क्रम में जुड़े होते हैं, तो तुल्य धारिता व्यक्तिगत संधारित्रों के धारिता के योग के बराबर होती है।
आपके प्रश्न के लिए:
* प्रत्येक संधारित्र की धारिता (C) = 40 µF
* संधारित्रों की संख्या = 4
तुल्य धारिता (C’) का सूत्र:
C’ = C₁ + C₂ + C₃ + …
चूंकि सभी संधारित्रों की धारिता समान है, इसलिए:
C’ = 4C
अब मान रखने पर:
C’ = 4 * 40 µF
C’ = 160 µF
अतः, चारों संधारित्रों की तुल्य धारिता 160 µF होगी।Capacitor MCQ
यदि आपके कोई और प्रश्न हैं, तो बेझिझक पूछें।
कुछ अतिरिक्त जानकारी:
* समान्तर क्रम में जोड़ने पर तुल्य धारिता हमेशा व्यक्तिगत धारिता से अधिक होती है।
* श्रेणीक्रम में जोड़ने पर तुल्य धारिता व्यक्तिगत धारिता से कम होती है।
Question 8 5 संधारित्र समान मान 5µF श्रेणी में जुड़े हैं तुल्य धारिता होगी।
(A) 5 µF
(Β) 2.5 µF
(C) 10 µF
(D) 1 µF
(A) 1 ohm
Ans – D
5 µF के 5 संधारित्रों को श्रेणीक्रम में जोड़ने पर तुल्य धारिता ज्ञात करने के लिए, हम निम्नलिखित सूत्र का उपयोग करते हैं:
1/Ct = 1/C1 + 1/C2 + 1/C3 + 1/C4 + 1/C5
चूंकि सभी संधारित्रों का मान समान है, इसलिए:
1/Ct = 5/5µF
1/Ct = 1/µF
इसलिए, Ct = 1 µF
अतः, 5 संधारित्रों को श्रेणीक्रम में जोड़ने पर तुल्य धारिता 1 µF होगी।
सरल शब्दों में: जब हम समान मान वाले संधारित्रों को श्रेणीक्रम में जोड़ते हैं तो तुल्य धारिता हमेशा व्यक्तिगत संधारित्र की धारिता से कम होती है।Capacitor MCQ
अतिरिक्त जानकारी:
* समांतर क्रम: यदि इन्हीं संधारित्रों को समांतर क्रम में जोड़ा जाता, तो तुल्य धारिता 25 µF होती।
* ध्यान दें: धारिता का मात्रक फेरेड (F) होता है, लेकिन छोटी धारिताओं को माइक्रोफेरेड (µF) में मापा जाता है।
Question 9. 1 फैरड सैद्धान्तिक रूप से किसके बराबर होता है।
(A)C/v
(B)1 ohm
(C) 1 V व 1 C रेशो
(D) कोई नहीं
Ans -A
1 फैरड (Farad) एक भौतिक इकाई है जो वैद्युत धारिता (capacitance) को मापती है।
सैद्धांतिक रूप से, 1 फैरड का अर्थ है:
* यदि किसी चालक को 1 कूलॉम्ब (Coulomb) आवेश देने पर उसकी विद्युत विभव में 1 वोल्ट (Volt) का परिवर्तन होता है, तो उस चालक की धारिता 1 फैरड होती है।
यानी:
1 फैरड = 1 कूलॉम्ब / 1 वोल्ट
सरल शब्दों में:
* 1 फैरड वह क्षमता है जिसमें 1 वोल्ट के विभवांतर पर 1 कूलॉम्ब आवेश संग्रहित किया जा सकता है।
यह समझने के लिए एक उदाहरण:
* एक संधारित्र (capacitor) को 1 फैरड की धारिता का माना जाए। यदि इसमें 1 कूलॉम्ब का आवेश संग्रहित किया जाता है, तो संधारित्र के दोनों प्लेटों के बीच का विभवांतर 1 वोल्ट होगा।
ध्यान दें:
* फैरड एक बड़ी इकाई है। व्यावहारिक रूप से, माइक्रोफैरड (μF) या नैनोफैरड (nF) जैसी छोटी इकाइयों का उपयोग अधिक होता है।
आशा है कि यह स्पष्टीकरण आपके लिए उपयोगी होगा।
Question 10 अपेक्षित परमिएबिलिटी है
(A) E_{0} = E_{r}*E
(B) E_{r} = E/E_{0}
(C) E_{r} = E_{0}/E
(D) E_{t} = E/(B)
Ans – B
अपेक्षित परमिएबिलिटी (Relative Permeability)
अपेक्षित परमिएबिलिटी किसी पदार्थ की चुंबकीय प्रवृत्ति की माप है। यह बताता है कि कोई पदार्थ कितनी आसानी से चुंबकित हो सकता है।
सरल शब्दों में:
* यह एक अनुपात है जो किसी पदार्थ की चुंबकीय शक्ति को निर्वात (या हवा) की चुंबकीय शक्ति से तुलना करता है।
* अगर किसी पदार्थ की अपेक्षित परमिएबिलिटी अधिक है, तो वह पदार्थ आसानी से चुंबकित हो जाएगा।
* अगर किसी पदार्थ की अपेक्षित परमिएबिलिटी कम है, तो वह पदार्थ कम आसानी से चुंबकित होगा।
गणितीय रूप से:
अपेक्षित परमिएबिलिटी (μr) = पदार्थ की परमिएबिलिटी (μ) / निर्वात की परमिएबिलिटी (μ₀)
महत्वपूर्ण बातें:
* विमाहीन राशि: अपेक्षित परमिएबिलिटी एक विमाहीन राशि है, इसका कोई मात्रक नहीं होता।Capacitor MCQ
* निर्वात के लिए: निर्वात के लिए अपेक्षित परमिएबिलिटी का मान 1 होता है।
* चुंबकीय पदार्थ: चुंबकीय पदार्थों की अपेक्षित परमिएबिलिटी 1 से अधिक होती है।
* प्रतिचुंबकीय पदार्थ: प्रतिचुंबकीय पदार्थों की अपेक्षित परमिएबिलिटी 1 से कम होती है।
उदाहरण:
* लोहे की अपेक्षित परमिएबिलिटी बहुत अधिक होती है, इसलिए यह आसानी से चुंबकित हो जाता है।
* तांबे की अपेक्षित परमिएबिलिटी लगभग 1 के बराबर होती है, इसलिए यह कमजोर रूप से चुंबकित होता है।
अन्य संबंधित शब्द:
* परमिएबिलिटी: किसी पदार्थ की चुंबकीय क्षेत्र को प्रवाहित करने की क्षमता।
* चुंबकीय प्रवृत्ति: किसी पदार्थ के चुंबकित होने की प्रवृत्ति।
Question 11. निम्न मान संधारित्र व रेडियो आवृति परिपथों में प्रयुक्त संधारित्र प्रावैद्युत पदार्थ होता है।
(A) तेल पेपर
(B) कांच
(C) निर्वात, हवा,
(D) टाइनियक ऑक्साइड
Ans – C
निम्न मान संधारित्रों व रेडियो आवृत्ति परिपथों में प्रयुक्त प्रावैद्युत पदार्थ:
* अभ्रक (Mica): यह सबसे आम प्रावैद्युत पदार्थ है जो निम्न मान संधारित्रों और उच्च आवृत्ति वाले परिपथों में उपयोग किया जाता है। अभ्रक एक प्राकृतिक खनिज है जो उत्कृष्ट विद्युत इन्सुलेशन गुणों के साथ-साथ उच्च तापमान सहनशीलता और कम हानि कारक के लिए जाना जाता है।
* वायु: वायु को भी एक प्रावैद्युत पदार्थ के रूप में उपयोग किया जाता है, खासकर चर संधारित्रों में। वायु संधारित्रों का उपयोग तब किया जाता है जब उच्च स्थिरता और कम तापमान गुणांक की आवश्यकता होती है।
* पॉलीस्टर: पॉलीस्टर एक कृत्रिम पॉलिमर है जो कम लागत और अच्छे विद्युत इन्सुलेशन गुणों के कारण व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
* पॉलीप्रोपाइलीन: पॉलीप्रोपाइलीन एक अन्य कृत्रिम पॉलिमर है जिसका उपयोग उच्च आवृत्ति वाले परिपथों में किया जाता है। यह कम हानि कारक और उच्च तापमान सहनशीलता के लिए जाना जाता है।
इन पदार्थों का उपयोग करने के कारण:
* उच्च आवृत्ति पर कम हानि: रेडियो आवृत्ति परिपथों में, कम हानि कारक वाले प्रावैद्युत पदार्थों का उपयोग किया जाता है ताकि ऊर्जा के नुकसान को कम किया जा सके।
* उच्च स्थिरता: तापमान और आर्द्रता में परिवर्तन के प्रति कम संवेदनशील होने के कारण इन पदार्थों का उपयोग किया जाता है।
* उच्च तापमान सहनशीलता: इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में तापमान बढ़ सकता है, इसलिए उच्च तापमान सहनशीलता वाले पदार्थों का उपयोग किया जाता है।
अन्य प्रावैद्युत पदार्थ:
* टेफ्लॉन: उच्च तापमान और रासायनिक प्रतिरोध के लिए जाना जाता है।
* पॉलीस्टाइरीन: कम लागत और अच्छे विद्युत इन्सुलेशन गुणों के लिए जाना जाता है।Capacitor MCQ
निष्कर्ष:
निम्न मान संधारित्रों और रेडियो आवृत्ति परिपथों में उपयोग किए जाने वाले प्रावैद्युत पदार्थ की पसंद परिपथ की विशिष्ट आवश्यकताओं पर निर्भर करती है।
Question 12. वैद्युत अपघट्य संधारित्र प्रयोग किये जाते हैं।
(A) AC
(B) DC.
(C) AC/DC
(D) कोई नहीं
Ans- B
वैद्युत अपघट्य संधारित्र: प्रयोग और विशेषताएं
वैद्युत अपघट्य संधारित्र इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में अत्यधिक उपयोग किए जाने वाले घटक हैं। इनकी उच्च धारिता और छोटे आकार के कारण ये कई अनुप्रयोगों के लिए आदर्श होते हैं।
वैद्युत अपघट्य संधारित्रों के प्रमुख उपयोग:
* फ़िल्टरिंग: ये संधारित्र AC सिग्नल को फ़िल्टर करने में मदद करते हैं, जिससे DC सिग्नल शुद्ध हो जाता है। यह विशेष रूप से पावर सप्लाई और ऑडियो सर्किट में उपयोगी होता है।
* युग्मन: ये संधारित्र विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक घटकों को एक दूसरे से जोड़ने के लिए उपयोग किए जाते हैं, जैसे कि ट्रांजिस्टर और ऑपरेशनल एम्पलीफायर।
* समय स्थिरांक: ये संधारित्र सर्किट के समय स्थिरांक को नियंत्रित करने में मदद करते हैं, जो विभिन्न प्रकार के समय-आधारित कार्यों के लिए महत्वपूर्ण है।
* डीकपलिंग: ये संधारित्र सर्किट के विभिन्न भागों में होने वाले शोर को कम करने में मदद करते हैं।
* ऊर्जा भंडारण: कुछ प्रकार के वैद्युत अपघट्य संधारित्र ऊर्जा को संग्रहित करने के लिए भी उपयोग किए जाते हैं, जैसे कि कैमरा फ्लैश और बैकअप पावर सप्लाई।
वैद्युत अपघट्य संधारित्रों की विशेषताएं:
* उच्च धारिता: समान आकार के अन्य संधारित्रों की तुलना में इनकी धारिता बहुत अधिक होती है।
* कम लागत: ये संधारित्र अपेक्षाकृत सस्ते होते हैं।
* ध्रुवीयता: इन संधारित्रों की ध्रुवता होती है, इसलिए इन्हें सही तरीके से जोड़ना महत्वपूर्ण होता है।
* सीमित आवृत्ति रेंज: ये संधारित्र उच्च आवृत्ति पर उतने प्रभावी नहीं होते हैं।
विभिन्न प्रकार के वैद्युत अपघट्य संधारित्र:
* एल्यूमीनियम वैद्युत अपघट्य संधारित्र: सबसे आम प्रकार, उच्च धारिता और कम लागत वाले।
* टैंटलम वैद्युत अपघट्य संधारित्र: छोटे आकार और उच्च स्थिरता वाले।
* नाइओबियम वैद्युत अपघट्य संधारित्र: उच्च तापमान और उच्च आवृत्ति अनुप्रयोगों Capacitor MCQ
13. एक माइका संधारित्र E = 6 है व एक प्लेट क्षेत्र 10 १ Inch² है तथा परावैद्युत परत 0.01 Inch मोटी है। C का मान होगा।
(A) 1.349 µF
(B) 1.349 n F
(C) 1.349 F
(D) None
Ans- D
माइका संधारित्र की धारिता की गणना
आपने जो जानकारी दी है:
* परावैद्युतांक (Dielectric constant), E = 6
* प्लेट का क्षेत्रफल, A = 10 sq in
* परावैद्युत परत की मोटाई, d = 0.01 in
धारिता (Capacitance) का सूत्र:
C = (ε₀ * E * A) / d
जहाँ:
* C = धारिता (Farads में)
* ε₀ = निर्वात की परावैद्युतांक (8.854 × 10⁻¹² F/m)
* E = परावैद्युतांक (दी गई है)
* A = प्लेट का क्षेत्रफल (m² में बदलना होगा)
* d = प्लेटों के बीच की दूरी (m में बदलना होगा)
इकाइयों को मीटर में बदलना:
* 1 inch = 0.0254 meters
* A = 10 sq in = 10 * (0.0254)² m²
* d = 0.01 in = 0.01 * 0.0254 m
अब मान रखकर गणना:
C = (8.854 × 10⁻¹² F/m * 6 * 10 * (0.0254)² m²) / (0.01 * 0.0254 m)
गणना करने के बाद आपको C का मान फेराड (Farads) में प्राप्त होगा।Capacitor MCQ
14. दो बिन्द पर 4µC आवेश है दोनों के मध्य 3CM दूरी है लगने वाला बल होगा।
(A) 100 N
(C) 400 N
(B) 160 N
(D) 0.02 N
दो बिंदु आवेशों के बीच लगने वाला बल
आपने जो जानकारी दी है:
* दोनों बिंदुओं पर आवेश (q) = 4 μC = 4 × 10⁻⁶ C
* दोनों बिंदुओं के बीच की दूरी (r) = 3 cm = 0.03 m
कूलॉम का नियम:
दो बिंदु आवेशों के बीच लगने वाला बल (F) को कूलॉम के नियम से ज्ञात किया जाता है।
F = (k * q₁ * q₂) / r²
जहाँ:
* F = बल (न्यूटन में)
* k = कूलॉम का स्थिरांक (लगभग 9 × 10⁹ N·m²/C²)
* q₁ और q₂ = दोनों आवेश (कूलॉम में)
* r = दोनों आवेशों के बीच की दूरी (मीटर में)
मान रखने पर:
F = (9 × 10⁹ N·m²/C² * 4 × 10⁻⁶ C * 4 × 10⁻⁶ C) / (0.03 m)²
*
15. एक समान्तर प्लेट संधारित्र में लगातार तीन परावैद्युत परत 0.2 mm, 0.3 mm, 0.4 mm है। यदि प्लेट का क्षेत्र 20 cm² है तो C होगी।
(A) 30 PF
(C) 36,6 PF
(B) 32 PF
(D) कोई नहीं
समान्तर प्लेट संधारित्र में लगातार तीन परावैद्युत परतों के लिए धारिता की गणना
आपने जो जानकारी दी है:
* प्लेटों का क्षेत्रफल (A) = 20 cm² = 20 × 10⁻⁴ m²
* पहली परत की मोटाई (d₁) = 0.2 mm = 0.2 × 10⁻³ m
* दूसरी परत की मोटाई (d₂) = 0.3 mm = 0.3 × 10⁻³ m
* तीसरी परत की मोटाई (d₃) = 0.4 mm = 0.4 × 10⁻³ m
* (हम मान रहे हैं कि प्रत्येक परत के लिए परावैद्युतांक अलग-अलग है, जिन्हें हम क्रमशः E₁, E₂, E₃ से दर्शाते हैं)
समांतर प्लेट संधारित्र की धारिता का सूत्र:
C = (ε₀ * E * A) / d
जहाँ:
* C = धारिता (फैरड में)
* ε₀ = निर्वात की परावैद्युतांक (8.854 × 10⁻¹² F/m)
* E = परावैद्युतांक
* A = प्लेट का क्षेत्रफल (m² में)
* d = प्लेटों के बीच की दूरी (m में)
जब कई परतें हों:
जब संधारित्र में कई परतें होती हैं, तो प्रत्येक परत को एक अलग संधारित्र के रूप में माना जा सकता है जो श्रेणीक्रम में जुड़े हुए हैं। श्रेणीक्रम में जुड़े संधारित्रों के लिए कुल धारिता का व्युत्क्रम, व्यक्तिगत धारिताओं के व्युत्क्रमों के योग के बराबर होता है।
1/C = 1/C₁ + 1/C₂ + 1/C₃
जहाँ C₁, C₂, C₃ क्रमशः पहली, दूसरी और तीसरी परत की धारिताएँ हैं।
अब हम उपरोक्त सूत्रों का उपयोग करके गणना कर सकते हैं:
* प्रत्येक परत के लिए धारिता ज्ञात करें:
* C₁ = (ε₀ * E₁ * A) / d₁
* C₂ = (ε₀ * E₂ * A) / d₂
* C₃ = (ε₀ * E₃ * A) / d₃
* कुल धारिता ज्ञात करें:
* 1/C = 1/C₁ + 1/C₂ + 1/C₃
* C = 1 / (1/C₁ + 1/C₂ + 1/C₃)
अंतिम रूप से, आपको C का मान फैरड (Farads) में प्राप्त होगा।
16. धारिता का मान 2 µF से 0 तक 1 सैकण्ड में बदलता है। यदि वोल्टेज का मान 6V है तो 0.5 सैकण्ड में संधारित्र द्वारा एकत्र ऊर्जा होगी।
(A) 55.1 μ
(Β) 18 μ
(C) 10 μ
(D) 20 μJ
संधारित्र द्वारा एकत्र ऊर्जा की गणना
आपने जो जानकारी दी है:
* प्रारंभिक धारिता (C₁) = 2 μF = 2 × 10⁻⁶ F
* अंतिम धारिता (C₂) = 0 F
* समय अंतराल (t) = 1 सेकंड
* वोल्टेज (V) = 6 V
* हमसे 0.5 सेकंड में एकत्र ऊर्जा पूछी गई है।
समाधान:
1. धारिता में परिवर्तन की दर:
* धारिता 1 सेकंड में 2 μF से 0 तक बदल रही है, इसलिए धारिता में परिवर्तन की दर:
* (0 F – 2 × 10⁻⁶ F) / 1 s = -2 × 10⁻⁶ F/s
2. 0.5 सेकंड बाद धारिता:
* 0.5 सेकंड में धारिता में कमी: -2 × 10⁻⁶ F/s * 0.5 s = -1 × 10⁻⁶ F
* इसलिए, 0.5 सेकंड बाद धारिता (C) = 2 × 10⁻⁶ F – 1 × 10⁻⁶ F = 1 × 10⁻⁶ F
3. संधारित्र में संग्रहित ऊर्जा:
* संधारित्र में संग्रहित ऊर्जा का सूत्र:
* E = 1/2 * C * V²
* 0.5 सेकंड बाद संधारित्र में संग्रहित ऊर्जा:
* E = 1/2 * 1 × 10⁻⁶ F * (6 V)²
* E = 18 × 10⁻⁶ J = 18 μJ
अतः, 0.5 सेकंड में संधारित्र द्वारा एकत्र ऊर्जा 18 माइक्रोजूल है।
17. धारिता के लिए असत्य कथन है।
(A) धारिता अदिश राशि है
(B) वह सदैव धनात्मक होती है
(C) चालक की धारिता चालक आवेश व चालक पदार्थ पर निर्भर नहीं करती है
(D) कोई नहीं
धारिता के लिए असत्य कथन
धारिता किसी चालक की विद्युत आवेश को संग्रहित करने की क्षमता को दर्शाता है। यह एक महत्वपूर्ण विद्युत राशि है।
आइए कुछ सामान्य भ्रांतियाँ या गलत धारणाएँ देखें जो धारिता के बारे में हो सकती हैं:
गलत कथन
* धारिता केवल धातुओं में होती है: यह पूरी तरह से सच नहीं है। हालांकि धातुएं सबसे आम चालक हैं, लेकिन अन्य पदार्थ जैसे कि इलेक्ट्रोलाइट्स और कुछ प्रकार की प्लास्टिक भी धारिता प्रदर्शित कर सकते हैं।
* धारिता का मान हमेशा स्थिर रहता है: यह भी पूरी तरह सच नहीं है। कुछ संधारित्रों की धारिता बाहरी कारकों जैसे कि तापमान, वोल्टेज या यांत्रिक दबाव से प्रभावित हो सकती है।
* धारिता और आवेश एक ही चीज़ हैं: धारिता और आवेश दो अलग-अलग चीजें हैं। धारिता एक वस्तु की क्षमता है कि वह कितना आवेश संग्रहित कर सकती है, जबकि आवेश एक मौलिक गुण है जो किसी वस्तु को विद्युत क्षेत्रों के साथ अंतःक्रिया करने की क्षमता देता है।
* धारिता केवल संधारित्रों में होती है: यह भी गलत है। हालांकि संधारित्र धारिता को संग्रहित करने के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए उपकरण हैं, लेकिन अन्य इलेक्ट्रॉनिक घटकों और यहां तक कि तारों में भी कुछ मात्रा में धारिता होती है।
* धारिता का मात्रक एम्पीयर है: धारिता का मात्रक फैराड (F) होता है, एम्पीयर विद्युत धारा का मात्रक है।
सही कथन
* धारिता एक वस्तु की क्षमता है कि वह कितना आवेश संग्रहित कर सकती है।
* धारिता को फैराड (F) में मापा जाता है।
* धारिता का मान संधारित्र की प्लेटों के क्षेत्रफल, उनके बीच की दूरी और उनके बीच के माध्यम पर निर्भर करता है।
* धारिता का उपयोग संधारित्रों, ट्रांजिस्टरों और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में किया जाता है।
18. 3 व 9 µF संधारित्र श्रेणी में जुड़े है दोनों के सिरों पर 300V है तो दोनों का आवेश होगा।
(A) 675
(B) 3600
(C) 240
(D) 7.5
श्रेणीक्रम में जुड़े संधारित्रों का आवेश
समस्या:
दो संधारित्र, जिनमें से प्रत्येक की धारिता 9 μF है, श्रेणीक्रम में जुड़े हैं। यदि इनके सिरों पर 300V का विभवांतर लगाया जाए तो प्रत्येक संधारित्र पर आवेश कितना होगा?
हल:
जब संधारित्र श्रेणीक्रम में जुड़े होते हैं, तो प्रत्येक संधारित्र में बहने वाला आवेश समान होता है। यह इसलिए होता है क्योंकि श्रेणीक्रम में जुड़े हुए घटकों में से होकर बहने वाली धारा समान होती है।
दिया गया है:
* प्रत्येक संधारित्र की धारिता (C) = 9 μF = 9 × 10⁻⁶ F
* कुल विभवांतर (V) = 300 V
सूत्र:
* Q = CV
जहाँ:
* Q = आवेश (कूलॉम में)
* C = धारिता (फैरड में)
* V = विभवांतर (वोल्ट में)
हिसाब:
चूंकि दोनों संधारित्रों की धारिता समान है और वे श्रेणीक्रम में जुड़े हुए हैं, इसलिए प्रत्येक संधारित्र पर समान विभवांतर होगा।
* प्रत्येक संधारित्र पर विभवांतर = कुल विभवांतर / 2 = 300 V / 2 = 150 V
अब, प्रत्येक संधारित्र पर आवेश की गणना करते हैं:
* Q = C * V
* Q = 9 × 10⁻⁶ F * 150 V
* Q = 1350 × 10⁻⁶ C
* Q = 1.35 × 10⁻³ C
उत्तर:
प्रत्येक संधारित्र पर आवेश 1.35 × 10⁻³ कूलॉम होगा।
अतः, दोनों संधारित्रों पर 1.35 मिलीकूलॉम का आवेश होगा।
19. निम्न में असत्य कथन है।
(A) समान आवेशित दो चालकों में निम्न धारिता चालक की स्थैतिक ऊर्जा अधिक होती है।
(B) समान विभव पर दो चालकों को आवेशित करने पर उच्च धारिता चालक की स्थैतिक ऊर्जा अधि एक होती है।
(C) A व B
(D) A व B दोनों सही है।
Ans -D
23 .सही कथन नहीं है।
(A) श्रेणी क्रम में निम्नतम संधारित्र उच्चतम वोल्टता पात करता है।
(B) श्रेणी क्रम में सभी संधारित्र पर समान आवेश एकत्र होता है।
(C) A व B दोनों
(D) दोनों सही है।
सही उत्तर: (A) श्रेणी क्रम में निम्नतम संधारित्र उच्चतम वोल्टता पात करता है।
स्पष्टीकरण:
* विकल्प (B) सही है: जब संधारित्र श्रेणीक्रम में जुड़े होते हैं तो उनमें से होकर बहने वाला कुल आवेश समान होता है। यह इसलिए होता है क्योंकि श्रेणीक्रम में जुड़े हुए घटकों में से होकर बहने वाली धारा समान होती है।
* विकल्प (A) गलत है: श्रेणीक्रम में जुड़े संधारित्रों पर विभवांतर का वितरण उनकी धारिता के व्युत्क्रमानुपाती होता है। यानी, जिस संधारित्र की धारिता कम होगी, उस पर अधिक विभवांतर होगा। इसलिए, निम्नतम धारिता वाला संधारित्र उच्चतम वोल्टता पात नहीं करेगा बल्कि उच्चतम वोल्टता पात करेगा।
इसलिए, सही उत्तर (A) है।
अतिरिक्त जानकारी:
* श्रेणीक्रम में संधारित्रों की तुल्य धारिता: श्रेणीक्रम में जुड़े संधारित्रों की तुल्य धारिता का व्युत्क्रम, व्यक्तिगत धारिताओं के व्युत्क्रमों के योग के बराबर होता है।
* समांतर क्रम में संधारित्र: समांतर क्रम में जुड़े संधारित्रों पर विभवांतर समान होता है, लेकिन आवेश अलग-अलग हो सकता है।
उदाहरण:
मान लीजिए दो संधारित्र, जिनकी धारिता क्रमशः 2 μF और 4 μF है, श्रेणीक्रम में जुड़े हैं। यदि इनके सिरों पर 12 V का विभवांतर लगाया जाए, तो 2 μF वाले संधारित्र पर अधिक विभवांतर होगा।
निष्कर्ष:
श्रेणीक्रम में जुड़े संधारित्रों के संबंध में यह समझना महत्वपूर्ण है कि आवेश सभी संधारित्रों पर समान होता है, लेकिन विभवांतर उनके धारिता के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
20. यदि समान मान संधारित्र श्रेणी में जुड़ने पर होतो समान्तर पर संधारित्र कुल ६ C_{1} = C/n
(A) xn
(C) Cnx
(В) п²х
(D) C*n_{x}
जब n समान धारिता वाले संधारित्र (प्रत्येक की धारिता C) श्रेणीक्रम में जुड़े होते हैं, तो उनकी तुल्य धारिता Ceq निम्न सूत्र से दी जाती है:
1/Ceq = 1/C1 + 1/C2 + … + 1/Cn
चूंकि सभी संधारित्रों की धारिता समान है, इसलिए:
1/Ceq = n/C
इसलिए, श्रेणीक्रम में तुल्य धारिता:
Ceq = C/n
अतः, दिए गए विकल्पों में से कोई भी विकल्प सही नहीं है।
सही उत्तर होगा: Ceq = C/n
अन्य महत्वपूर्ण बातें:
* समांतर क्रम में: यदि n समान धारिता वाले संधारित्र समांतर क्रम में जुड़े हों, तो उनकी तुल्य धारिता Ceq निम्न होती है:
Ceq = nC
* श्रेणीक्रम में: श्रेणीक्रम में जुड़े संधारित्रों पर आवेश समान होता है लेकिन विभवांतर अलग-अलग हो सकता है।
* समांतर क्रम में: समांतर क्रम में जुड़े संधारित्रों पर विभवांतर समान होता है लेकिन आवेश अलग-अलग हो सकता है।
21. एक समान्तर प्लेट संधारित्र का क्षेत्रफल (प्लेट) दूगुना कर दे व प्लेट मध्य दूरी दुगुनी कर दें तो है ॥रिता होगी।
(A)- c
(B)- 2c
© – 16c
(D) – 4 c
Ans – A
समान्तर प्लेट संधारित्र की धारिता में परिवर्तन
समान्तर प्लेट संधारित्र की धारिता (C) निम्न सूत्र से दी जाती है:
C = (ε₀ * A) / d
जहाँ:
* C = धारिता
* ε₀ = निर्वात की वैद्युतशीलता
* A = प्लेटों का क्षेत्रफल
* d = प्लेटों के बीच की दूरी
अब प्रश्न के अनुसार:
* प्लेट का क्षेत्रफल (A) दुगुना हो जाता है, अर्थात् नया क्षेत्रफल = 2A
* प्लेटों के बीच की दूरी (d) भी दुगुनी हो जाती है, अर्थात् नई दूरी = 2d
नई धारिता (C’) ज्ञात करने के लिए सूत्र में नए मान रखने पर:
C’ = (ε₀ * 2A) / (2d)
आगे हल करने पर:
C’ = (ε₀ * A) / d
यह देखने में आया कि नई धारिता (C’) पुरानी धारिता (C) के बराबर है।
अतः, जब समान्तर प्लेट संधारित्र का क्षेत्रफल और प्लेटों के बीच की दूरी दोनों को दुगुना कर दिया जाता है, तो संधारित्र की धारिता अपरिवर्तित रहती है।
निष्कर्ष:
समान्तर प्लेट संधारित्र की धारिता को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक हैं:
* प्लेटों का क्षेत्रफल: क्षेत्रफल बढ़ाने पर धारिता बढ़ती है।
* प्लेटों के बीच की दूरी: दूरी बढ़ाने पर धारिता घटती है।
* प्लेटों के बीच के माध्यम का परावैद्युतांक: परावैद्युतांक बढ़ाने पर धारिता बढ़ती है।
इस प्रश्न में, क्षेत्रफल और दूरी दोनों को समान अनुपात में बदला गया है, जिसके कारण दोनों प्रभाव एक-दूसरे को निरस्त कर देते हैं और धारिता अपरिवर्तित रहती है।
22. एक 20 µF संधारित्र व 200 W, 220V लैम्प श्रेणी में जुड़े है। यदि 220 V AC दें तो कौनसी आवर्ती पर लैम्प मंद जलेगा।
(A) 1000 Hz
(B) 1 Hz
(C) 10 Hz
(D) 100 Hz
Ans – c
प्रश्न का विश्लेषण और उत्तर
प्रश्न: एक 20 µF संधारित्र और 200 W, 220V लैंप श्रेणी में जुड़े हैं। यदि 220 V AC दें तो कौन सी आवृत्ति पर लैंप मंद जलेगा?
उत्तर: (C) 10 Hz
स्पष्टीकरण:
जब एक संधारित्र और एक लैंप को श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है और इस पर AC वोल्टेज लगाया जाता है, तो परिपथ में धारा का मान संधारित्र के प्रतिघात पर निर्भर करता है। संधारित्र का प्रतिघात (Xc) निम्न सूत्र से दिया जाता है:
Xc = 1 / (2πfC)
जहाँ:
* Xc = संधारित्र का प्रतिघात
* f = आवृत्ति
* C = धारिता
अधिक प्रतिघात का अर्थ है कम धारा:
* जब प्रतिघात अधिक होता है, तो परिपथ में कम धारा बहती है।
* कम धारा का मतलब है कि लैंप कम चमकेगा या मंद जलेगा।
आवृत्ति और प्रतिघात का संबंध:
* उपरोक्त सूत्र से स्पष्ट है कि प्रतिघात (Xc) आवृत्ति (f) के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
* यानी, आवृत्ति बढ़ने पर प्रतिघात घटेगा और आवृत्ति घटने पर प्रतिघात बढ़ेगा।
इस प्रश्न में:
* हमें कम से कम आवृत्ति ज्ञात करनी है जिस पर लैंप मंद जले।
* कम से कम आवृत्ति पर प्रतिघात अधिकतम होगा।
* दिए गए विकल्पों में सबसे कम आवृत्ति 10 Hz है।
अतः, 10 Hz आवृत्ति पर लैंप मंद जलेगा।
निष्कर्ष:
जब संधारित्र और लैंप को श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है, तो कम आवृत्ति पर संधारित्र का प्रतिघात अधिक होता है, जिसके कारण परिपथ में कम धारा बहती है और लैंप मंद जलेगा।
अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
* 1000 Hz और 100 Hz: इन आवृत्तियों पर प्रतिघात 10 Hz की तुलना में कम होगा, इसलिए लैंप इन आवृत्तियों पर अधिक चमकेगा।
* 1 Hz: यह आवृत्ति बहुत कम है और संभवतः व्यावहारिक नहीं है।
इसलिए, सही उत्तर (C) 10 Hz है।
23. एक संधारित्र 12.6 mA वोल्टेज 20 V AC है 10 Hz पर धारिता क्या धारा पास कर रहा है।
(A) 0.001 µF
(C) 0.1 µF
(B) 0.01 µF
(D) 1 µF
एक संधारित्र 12.6 mA वोल्टेज 20 V AC है 10 Hz पर धारिता क्या धारा पास कर रहा है। होगी।”
लेकिन, धारिता (Capacitance) एक स्थिर गुण होती है जो संधारित्र की संरचना पर निर्भर करती है। यह धारा के मान पर निर्भर नहीं करती है।
आप शायद यह जानना चाहते हैं कि:
* दिए गए वोल्टेज और आवृत्ति पर संधारित्र की धारिता क्या है?
* दिए गए वोल्टेज, आवृत्ति और धारा के आधार पर संधारित्र का प्रतिघात क्या है?
यदि आप पहला प्रश्न पूछना चाहते हैं:
तो इसके लिए हमें और जानकारी की आवश्यकता होगी, जैसे कि संधारित्र की प्लेटों का क्षेत्रफल, उनके बीच की दूरी और उनके बीच के माध्यम का परावैद्युतांक। क्योंकि धारिता का मान इन कारकों पर निर्भर करता है।
यदि आप दूसरा प्रश्न पूछना चाहते हैं:
तो हम संधारित्र के प्रतिघात की गणना कर सकते हैं। प्रतिघात (Reactance) एक वैद्युत परिपथ में किसी घटक द्वारा प्रत्यावर्ती धारा के प्रवाह का विरोध करने का माप है। संधारित्र का प्रतिघात (Xc) निम्न सूत्र से दिया जाता है:
Xc = 1 / (2πfC)
जहाँ:
* Xc = संधारित्र का प्रतिघात (ओम में)
* f = आवृत्ति (हर्ट्ज में)
* C = धारिता (फैरड में)
आपने जो मान दिए हैं:
* V = 20 V (वोल्टेज)
* I = 12.6 mA = 0.0126 A (धारा)
* f = 10 Hz (आवृत्ति)
लेकिन हमें धारिता (C) का मान ज्ञात नहीं है।
यदि आपको धारिता का मान पता होता, तो हम प्रतिघात की गणना कर सकते थे।
अगर आप हमें धारिता का मान बताते हैं, तो हम आपके प्रश्न का उत्तर दे सकते हैं।
अन्य संभावना:
शायद आप यह जानना चाहते हैं कि दिए गए वोल्टेज और आवृत्ति पर 12.6 mA धारा लेने के लिए संधारित्र की धारिता कितनी होनी चाहिए।
इसके लिए हम ओम के नियम का उपयोग कर सकते हैं:
V = IZ
जहाँ:
* V = वोल्टेज
* I = धारा
* Z = प्रतिबाधा (यहाँ पर प्रतिबाधा केवल संधारित्र का प्रतिघात होगा क्योंकि परिपथ में केवल संधारित्र है)
इसलिए,
Z = V / I = 20 V / 0.0126 A ≈ 1587.3 Ω
अब हम जानते हैं कि संधारित्र का प्रतिघात 1587.3 ओम है। अब हम प्रतिघात के सूत्र का उपयोग करके धारिता की गणना कर सकते हैं:
C = 1 / (2πfXc)
C = 1 / (2 * π * 10 Hz * 1587.3 Ω) ≈ 1.004 × 10^-5 F ≈ 10.04 μF
अतः, दिए गए वोल्टेज, आवृत्ति और धारा के लिए संधारित्र की धारिता लगभग 10.04 माइक्रोफैरड होनी चाहिए।
24. एक 40 µF संधारित्र 250 V DC से जुड़ा है। चार्जिंग धारा निम्नतम होगी।
(A) पूर्ण आवेश पर
(B) 50% आवेश पर
(C) 25% आवेश पर
(D) अनन्त आवेश पर
संधारित्र का चार्जिंग धारा
जब एक संधारित्र को एक DC वोल्टेज स्रोत से जोड़ा जाता है, तो संधारित्र धीरे-धीरे चार्ज होता है। चार्जिंग प्रक्रिया के दौरान, संधारित्र के प्लेटों पर आवेश जमा होता है और इसके परिणामस्वरूप प्लेटों के बीच एक विद्युत क्षेत्र उत्पन्न होता है।
चार्जिंग धारा का व्यवहार:
* शुरुआत में: जब संधारित्र को पहली बार वोल्टेज स्रोत से जोड़ा जाता है, तो संधारित्र एक खाली बर्तन की तरह होता है। यह बहुत तेजी से आवेश ग्रहण करता है और इस दौरान चार्जिंग धारा अधिकतम होती है।
* समय के साथ: जैसे-जैसे संधारित्र चार्ज होता जाता है, प्लेटों के बीच का विद्युत क्षेत्र बढ़ता जाता है। यह विद्युत क्षेत्र आवेश के प्रवाह का विरोध करता है और परिणामस्वरूप चार्जिंग धारा कम होती जाती है।
* अंत में: जब संधारित्र पूरी तरह से चार्ज हो जाता है, तो प्लेटों के बीच का विद्युत क्षेत्र स्रोत के वोल्टेज के बराबर हो जाता है और चार्जिंग धारा शून्य हो जाती है।
सवाल का जवाब:
आपने पूछा है कि “एक 40 µF संधारित्र 250 V DC से जुड़ा है। चार्जिंग धारा निम्नतम होगी।”
इसका उत्तर है: जब संधारित्र पूरी तरह से चार्ज हो जाएगा, तब चार्जिंग धारा निम्नतम होगी और इसका मान शून्य होगा।
क्योंकि:
* जब संधारित्र पूरी तरह से चार्ज हो जाता है, तो प्लेटों के बीच का विभवांतर स्रोत के वोल्टेज के बराबर हो जाता है।
* इस स्थिति में, कोई भी अतिरिक्त आवेश संधारित्र में प्रवाहित नहीं हो सकता है और इसलिए चार्जिंग धारा शून्य हो जाती है।
निष्कर्ष:
एक संधारित्र को चार्ज करने के दौरान, चार्जिंग धारा का मान समय के साथ घटता जाता है और जब संधारित्र पूरी तरह से चार्ज हो जाता है, तो यह शून्य हो जाता है।
अतिरिक्त जानकारी:
* संधारित्र को चार्ज होने में लगने वाला समय संधारित्र की धारिता और परिपथ के प्रतिरोध पर निर्भर करता है।
* संधारित्र को डिस्चार्ज करने के लिए, इसे एक प्रतिरोधक से जोड़ा जा सकता है। डिस्चार्ज के दौरान भी, धारा का मान समय के साथ घटता जाता है।
25. एक संधारित्र विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करता hai
(A) चु. क्षेत्र के रूप में
(B) वैद्युत क्षेत्र के रूप में 6
(C) A व B दोनों
(D) कोई नहीं
संधारित्र विद्युत ऊर्जा उत्पन्न नहीं करता है, बल्कि इसे संग्रहित करता है।
यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जो आपको जाननी चाहिए:
* संधारित्र क्या है?
* संधारित्र एक विद्युत उपकरण है जो विद्युत ऊर्जा को संग्रहित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
* यह आमतौर पर दो धातु की प्लेटों से बना होता है जो एक विद्युतरोधी पदार्थ द्वारा अलग होती हैं।
* संधारित्र कैसे काम करता है?
* जब एक संधारित्र को एक बैटरी या अन्य वोल्टेज स्रोत से जोड़ा जाता है, तो यह आवेश को संग्रहित करता है। एक प्लेट पर धनात्मक आवेश जमा होता है और दूसरी प्लेट पर ऋणात्मक आवेश।
* यह संग्रहित आवेश एक विद्युत क्षेत्र बनाता है, जो संधारित्र में ऊर्जा के रूप में संग्रहित होता है।
* जब संधारित्र को एक परिपथ से जोड़ा जाता है, तो यह संग्रहित ऊर्जा को परिपथ में छोड़ सकता है।
* संधारित्र ऊर्जा क्यों संग्रहित करता है?
* संधारित्र विद्युत क्षेत्र में ऊर्जा संग्रहित करता है। जब संधारित्र को चार्ज किया जाता है, तो प्लेटों के बीच एक विद्युत क्षेत्र उत्पन्न होता है। यह विद्युत क्षेत्र एक प्रकार की स्थितिज ऊर्जा है।
संधारित्र का उपयोग:
* इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में: कंप्यूटर, मोबाइल फोन, टीवी आदि में।
* फ्लैश कैमरे में: फ्लैश को चमकाने के लिए।
* मोटर वाहनों में: इग्निशन सिस्टम में।
* औद्योगिक अनुप्रयोगों में: मोटर नियंत्रण, वेल्डिंग आदि में।
निष्कर्ष:
संधारित्र विद्युत ऊर्जा उत्पन्न नहीं करता है, बल्कि इसे संग्रहित करता है। यह एक महत्वपूर्ण विद्युत घटक है जिसका उपयोग विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और प्रणालियों में किया जाता है।
26. दो विद्युत सम्पर्क के मध्य स्पार्किंग को कम किया जा सकता है।
(A) संधारित्र समान्तर जोड़कर ‘
(B) संधारित्र श्रेणी जोड़कर
(C) प्रतिरोध श्रेणी जोड़कर
(D) सभी
विद्युत संपर्कों के मध्य स्पार्किंग को कम करने के उपाय
जब दो विद्युत संपर्क एक-दूसरे से अलग होते हैं या जुड़ते हैं, तो उनके बीच स्पार्किंग हो सकती है। यह स्पार्किंग कई कारणों से हो सकती है, जैसे कि उच्च वोल्टेज, उच्च धारा, या संपर्कों के बीच खराब संपर्क।
स्पार्किंग को कम करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
1. संपर्क सामग्री का चुनाव:
* तांबा: उच्च चालकता के कारण, तांबा सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली संपर्क सामग्री है।
* चांदी: तांबे की तुलना में अधिक चालकता और ऑक्सीकरण प्रतिरोध के कारण, चांदी का उपयोग उच्च आवृत्ति अनुप्रयोगों में किया जाता है।
* सोना: सोना सबसे अच्छा चालक है और ऑक्सीकरण के प्रति बहुत प्रतिरोधी है, लेकिन यह महंगा भी है।
2. संपर्क सतह का क्षेत्रफल:
* संपर्क सतह का क्षेत्रफल जितना अधिक होगा, उतनी ही कम धारा घनत्व होगी। इससे स्पार्किंग की संभावना कम हो जाती है।
3. संपर्क दबाव:
* संपर्क दबाव पर्याप्त होना चाहिए ताकि संपर्क के बीच एक अच्छा विद्युत कनेक्शन सुनिश्चित हो सके। बहुत कम दबाव से संपर्क खराब हो सकता है और स्पार्किंग हो सकती है।
4. संपर्क का आकार:
* संपर्क का आकार गोल या गोलाकार होना चाहिए ताकि संपर्क क्षेत्र अधिक से अधिक हो।
5. संपर्क सामग्री का लेप:
* संपर्क सामग्री पर एक पतली परत चढ़ाई जा सकती है, जैसे कि सोना या रोडियम, ताकि ऑक्सीकरण और घर्षण को कम किया जा सके।
6. वायु अंतराल को कम करना:
* संपर्कों के बीच वायु अंतराल को कम करने से स्पार्किंग की संभावना कम हो जाती है।
7. आरसी सर्किट:
* आरसी सर्किट का उपयोग करके स्पार्किंग को कम किया जा सकता है। रेसिस्टर धारा को सीमित करता है और कैपेसिटर वोल्टेज को धीरे-धीरे बढ़ने देता है।
8. स्पार्क गैप:
* स्पार्क गैप का उपयोग उच्च वोल्टेज को कम करने के लिए किया जा सकता है।
9. संपर्क संरक्षण:
* संपर्कों को धूल और नमी से बचाने के लिए एक सुरक्षात्मक आवरण का उपयोग किया जा सकता है।
10. लुब्रिकेशन:
* संपर्कों को लुब्रिकेट करके घर्षण को कम किया जा सकता है और संपर्क जीवन को बढ़ाया जा सकता है।
स्पार्किंग को कम करने के लिए उपयुक्त तरीका चुनाव, विशिष्ट अनुप्रयोग पर निर्भर करता है।
अतिरिक्त जानकारी के लिए, आप निम्नलिखित विषयों पर गहराई से अध्ययन कर सकते हैं:
* विद्युत संपर्क
* स्पार्क गैप
* आरसी सर्किट
* धातुओं की चालकता
* इलेक्ट्रॉनिक्स
27. तीन संधारित्र की धारिता C है। यदि कुल धारिता C है तो संयोजन है।
(A) श्रेणी
(B) समान्तर
(C) 2 समान्तर एक श्रेणी
(D) दो श्रेणी एक समान्तर
तीन संधारित्रों का संयोजन
प्रश्न: तीन संधारित्रों की धारिता C है। यदि कुल धारिता C है तो संयोजन है।
उत्तर:
जब तीन समान धारिता वाले संधारित्रों को जोड़ा जाता है और परिणामी धारिता भी उतनी ही रहती है, तो इसका मतलब है कि संधारित्र समानांतर में जुड़े हुए हैं।
क्यों?
* समानांतर संयोजन में: जब संधारित्रों को समानांतर में जोड़ा जाता है, तो कुल धारिता व्यक्तिगत संधारित्रों की धारिताओं के योग के बराबर होती है।
* माना कि तीन संधारित्रों की धारिताएँ C₁, C₂ और C₃ हैं।
* समानांतर संयोजन में कुल धारिता C = C₁ + C₂ + C₃ होती है।
* श्रेणीक्रम संयोजन में: जब संधारित्रों को श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है, तो कुल धारिता का व्युत्क्रम व्यक्तिगत संधारित्रों के व्युत्क्रमों के योग के बराबर होता है।
* माना कि तीन संधारित्रों की धारिताएँ C₁, C₂ और C₃ हैं।
* श्रेणीक्रम संयोजन में कुल धारिता 1/C = 1/C₁ + 1/C₂ + 1/C₃ होती है।
इसलिए, यदि तीनों संधारित्रों की धारिता C है और कुल धारिता भी C है, तो संधारित्रों को समानांतर में जोड़ा गया होगा।
उदाहरण के लिए:
* यदि प्रत्येक संधारित्र की धारिता 10 माइक्रोफैरड है, और तीनों को समानांतर में जोड़ा जाता है, तो कुल धारिता 10 + 10 + 10 = 30 माइक्रोफैरड होगी।
* लेकिन अगर इन्हें श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता, तो कुल धारिता 1/(1/10 + 1/10 + 1/10) = 3.33 माइक्रोफैरड होगी।
निष्कर्ष:
जब समान धारिता वाले संधारित्रों को जोड़ा जाता है और परिणामी धारिता भी उतनी ही रहती है, तो यह निश्चित रूप से समानांतर संयोजन है।
है?
28. एक संधारित्र धारिता प्रभावित नहीं होती है।
(A) परावैद्युत मोटाई
(B) प्लेट क्षेत्रफल
(C) प्लेट मोटाई
(D) कोई नहीं
संधारित्र की धारिता को प्रभावित करने वाले कारक
आपका यह कहना कि “एक संधारित्र धारिता प्रभावित नहीं होती है” पूरी तरह सटीक नहीं है। संधारित्र की धारिता कई कारकों पर निर्भर करती है।
संधारित्र की धारिता किन कारकों पर निर्भर करती है:
* प्लेटों का क्षेत्रफल: प्लेटों का क्षेत्रफल जितना अधिक होगा, उतनी ही अधिक धारिता होगी।
* प्लेटों के बीच की दूरी: प्लेटों के बीच की दूरी जितनी कम होगी, उतनी ही अधिक धारिता होगी।
* प्लेटों के बीच का माध्यम: प्लेटों के बीच के माध्यम की परावैद्युतांक (dielectric constant) जितना अधिक होगा, उतनी ही अधिक धारिता होगी।
धारिता को प्रभावित नहीं करने वाले कारक:
* प्लेटों की मोटाई: प्लेटों की मोटाई का धारिता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
* आवेश: आवेश बढ़ाने से धारिता नहीं बदलती, बल्कि प्लेटों के बीच विभवांतर बढ़ जाता है।
संधारित्र की धारिता का सूत्र:
C = ε₀εᵣA/d
जहाँ:
* C = धारिता
* ε₀ = निर्वात की परावैद्युतांक
* εᵣ = माध्यम की सापेक्ष परावैद्युतांक
* A = प्लेटों का क्षेत्रफल
* d = प्लेटों के बीच की दूरी
उदाहरण:
* यदि आप एक संधारित्र की प्लेटों का क्षेत्रफल बढ़ाते हैं, तो उसकी धारिता भी बढ़ जाएगी।
* यदि आप प्लेटों के बीच की दूरी बढ़ाते हैं, तो उसकी धारिता घट जाएगी।
* यदि आप प्लेटों के बीच के माध्यम को हवा से कांच में बदलते हैं (जिसकी परावैद्युतांक हवा से अधिक होती है), तो उसकी धारिता बढ़ जाएगी।
निष्कर्ष:
संधारित्र की धारिता एक स्थिर मान नहीं है, बल्कि यह कई कारकों पर निर्भर करती है। इसलिए कहना कि “एक संधारित्र धारिता प्रभावित नहीं होती है” सही नहीं होगा।
29. एयर संधारित्र में प्लास्टिक लगा दें तो धारिता
(A) बढ़ेगी
घटेगी
(C) शून्य हो जायेगी
(D) कोई परिवर्तन नहीं
जब एक एयर संधारित्र में प्लास्टिक लगाया जाता है, तो उसकी धारिता बढ़ जाती है।
क्यों?
यह समझने के लिए हमें संधारित्र की धारिता को प्रभावित करने वाले कारकों को समझना होगा। संधारित्र की धारिता निम्नलिखित सूत्र से दी जाती है:
C = ε₀εᵣA/d
जहाँ:
* C = धारिता
* ε₀ = निर्वात की परावैद्युतांक
* εᵣ = माध्यम की सापेक्ष परावैद्युतांक
* A = प्लेटों का क्षेत्रफल
* d = प्लेटों के बीच की दूरी
ऊपर दिए गए सूत्र में, εᵣ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसे सापेक्ष परावैद्युतांक कहते हैं। यह किसी पदार्थ की विद्युत क्षेत्र को कम करने की क्षमता को दर्शाता है।
* हवा: हवा का सापेक्ष परावैद्युतांक लगभग 1 होता है।
* प्लास्टिक: प्लास्टिक का सापेक्ष परावैद्युतांक हवा की तुलना में अधिक होता है। इसका मतलब है कि प्लास्टिक, विद्युत क्षेत्र को हवा की तुलना में अधिक प्रभावी ढंग से कम कर सकता है।
जब हम एक एयर संधारित्र में प्लास्टिक लगाते हैं, तो:
* प्लेटों के बीच का माध्यम हवा से बदलकर प्लास्टिक हो जाता है।
* प्लास्टिक का सापेक्ष परावैद्युतांक हवा से अधिक होने के कारण, εᵣ का मान बढ़ जाता है।
* उपरोक्त सूत्र के अनुसार, जब εᵣ बढ़ता है तो धारिता C भी बढ़ जाती है।
यानी, प्लास्टिक लगाने से संधारित्र की धारिता बढ़ जाती है।
अन्य कारक जो धारिता को प्रभावित करते हैं:
* प्लेटों का क्षेत्रफल: प्लेटों का क्षेत्रफल बढ़ाने से धारिता बढ़ती है।
* प्लेटों के बीच की दूरी: प्लेटों के बीच की दूरी कम करने से धारिता बढ़ती है।
उदाहरण:
मान लीजिए आपके पास एक एयर संधारित्र है जिसकी धारिता 10 माइक्रोफैरड है। यदि आप इस संधारित्र में प्लास्टिक लगाते हैं जिसका सापेक्ष परावैद्युतांक 3 है, तो संधारित्र की नई धारिता 30 माइक्रोफैरड हो जाएगी।
निष्कर्ष:
जब एक एयर संधारित्र में प्लास्टिक लगाया जाता है, तो उसकी धारिता बढ़ जाती है। यह इसलिए होता है क्योंकि प्लास्टिक का सापेक्ष परावैद्युतांक हवा की तुलना में अधिक होता है।
30 भौतिक रूप से सबसे छोटा संधारित्र होता है।
(A) सैरमिक
(C) दोनों समान
(B) पेपर
(D) कोई नहीं
भौतिक रूप से सबसे छोटा संधारित्र कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि:
* प्रौद्योगिकी: लगातार नई प्रौद्योगिकियां विकसित हो रही हैं जो पहले से छोटे संधारित्र बनाने में सक्षम बनाती हैं।Capacitor MCQ
* सामग्री: विभिन्न प्रकार की सामग्रियों का उपयोग संधारित्र बनाने के लिए किया जाता है, और प्रत्येक सामग्री अलग-अलग आकार के संधारित्र बनाने की अनुमति देती है।
* अनुप्रयोग: संधारित्र का उपयोग किस उद्देश्य के लिए किया जा रहा है, यह भी इसके आकार को प्रभावित करता है।
आजकल, सिरेमिक संधारित्र अत्यंत छोटे आकार में उपलब्ध हैं और इन्हें अक्सर इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में उपयोग किया जाता है।
यदि आप एक विशिष्ट अनुप्रयोग के लिए सबसे छोटे संधारित्र की तलाश कर रहे हैं, तो आपको अपने विशिष्ट आवश्यकताओं के आधार पर एक निर्माता या आपूर्तिकर्ता से संपर्क करना चाहिए।
कुछ अतिरिक्त जानकारी जो आपके लिए उपयोगी हो सकती है:
* संधारित्र का कार्य: संधारित्र एक इलेक्ट्रॉनिक घटक है जो विद्युत ऊर्जा को संचित करने में सक्षम होता है।
* संधारित्र के प्रकार: संधारित्र विभिन्न प्रकार के होते हैं, जैसे कि सिरेमिक, इलेक्ट्रोलाइटिक, और फिल्म।
* संधारित्र के अनुप्रयोग: संधारित्र का उपयोग विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में किया जाता है, जैसे कि कंप्यूटर, मोबाइल फोन, और टेलीविजन।
31. सेरमिक व माइका संधारित्र की भौतिक रचना समान ही होती है। दोनों में उच्च वैल्यू किसकी होती है।
(A) दोनों का समान
(B) माइका
(C) सेरमिक
(D) यह V पर निर्भर करती है
यह कहना कि सिरेमिक और माइका संधारित्र की भौतिक रचना समान होती है, पूरी तरह सच नहीं है। हालांकि, दोनों में कुछ समानताएं भी हैं।Capacitor MCQ
समानताएं:
* दोनों में डाइइलेक्ट्रिक का उपयोग: दोनों प्रकार के संधारित्र में एक डाइइलेक्ट्रिक पदार्थ का उपयोग किया जाता है जो दो कंडक्टरों को अलग करता है।
* छोटे आकार: दोनों प्रकार के संधारित्र आमतौर पर छोटे आकार में होते हैं।
* उच्च आवृत्ति पर अच्छा प्रदर्शन: दोनों उच्च आवृत्ति पर अच्छा प्रदर्शन करते हैं।
अंतर:
* डाइइलेक्ट्रिक सामग्री: सबसे बड़ा अंतर यह है कि वे अलग-अलग डाइइलेक्ट्रिक सामग्री का उपयोग करते हैं। सिरेमिक संधारित्र में सिरेमिक सामग्री का उपयोग किया जाता है, जबकि माइका संधारित्र में माइका का उपयोग किया जाता है।
* धातुकरण: माइका संधारित्र में धातुकरण किया जाता है, जिसका अर्थ है कि माइका की सतह पर धातु की एक पतली परत होती है। सिरेमिक संधारित्र में यह हमेशा आवश्यक नहीं होता है।
* स्थिरता: माइका संधारित्र अधिक स्थिर होते हैं और तापमान और आवृत्ति में परिवर्तन के प्रति कम संवेदनशील होते हैं।
* लागत: माइका संधारित्र आमतौर पर सिरेमिक संधारित्र से अधिक महंगे होते हैं।
किसकी वैल्यू अधिक होती है?
संधारित्र की वैल्यू (धारिता) कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि प्लेटों का क्षेत्रफल, प्लेटों के बीच की दूरी और डाइइलेक्ट्रिक की परावैद्युतांक। इसलिए, यह कहना कि किस प्रकार के संधारित्र की वैल्यू हमेशा अधिक होगी, संभव नहीं है। दोनों प्रकार के संधारित्र विभिन्न मानों में उपलब्ध हैं।
किसका उपयोग कब किया जाता है?
* माइका संधारित्र: उच्च स्थिरता और उच्च आवृत्ति अनुप्रयोगों के लिए उपयोग किए जाते हैं, जैसे कि रेडियो फ्रीक्वेंसी सर्किट।
* सिरेमिक संधारित्र: व्यापक रूप से उपयोग किए जाते हैं और विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में पाए जाते हैं।
निष्कर्ष:
सिरेमिक और माइका संधारित्र दोनों के अपने फायदे और नुकसान हैं। किस प्रकार का संधारित्र उपयोग करना है, यह आपके विशिष्ट अनुप्रयोग पर निर्भर करता है।
32. उच्च आवर्ती पर प्रयोग करेंगे।
(A) पेपर
(B) माइका
(C) एयर
(D) कांच
उच्च आवृत्ति पर उपयोग के लिए कौन सा संधारित्र बेहतर होगा?
उच्च आवृत्ति पर उपयोग के लिए माइका संधारित्र आमतौर पर बेहतर विकल्प होते हैं।
क्यों?
* कम नुकसान: माइका संधारित्र में कम नुकसान होता है, जिसका मतलब है कि वे उच्च आवृत्ति पर कम ऊर्जा खोते हैं।Capacitor MCQ
* उच्च स्थिरता: माइका संधारित्र तापमान और आवृत्ति में परिवर्तन के प्रति कम संवेदनशील होते हैं, जिससे वे उच्च आवृत्ति सर्किटों में अधिक स्थिर प्रदर्शन करते हैं।
* कम परजीवी प्रभाव: माइका संधारित्र में कम परजीवी प्रभाव होते हैं, जैसे कि इंडक्टेंस और प्रतिरोध, जो उच्च आवृत्ति पर महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
सिरेमिक संधारित्र भी उच्च आवृत्ति पर उपयोग किए जा सकते हैं, लेकिन माइका संधारित्र की तुलना में उनमें अधिक नुकसान और कम स्थिरता होती है।
किसका उपयोग कब किया जाता है?
* माइका संधारित्र: उच्च आवृत्ति वाले सर्किटों में, जैसे कि रेडियो फ्रीक्वेंसी सर्किट और उच्च गुणवत्ता वाले ऑडियो उपकरणों में।
* सिरेमिक संधारित्र: सामान्य उद्देश्य वाले सर्किटों में, जैसे कि पावर सप्लाई और डिजिटल सर्किटों में।
निष्कर्ष:
यदि आप उच्च आवृत्ति पर एक संधारित्र का उपयोग करने की योजना बना रहे हैं, तो माइका संधारित्र आमतौर पर बेहतर विकल्प होगा। हालांकि, आपके विशिष्ट अनुप्रयोग के आधार पर अन्य कारक भी महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
capacitor mcq,capacitance mcq for neet,electrostatic potential and capacitance mcq,mcq capacitor,mcq on electrostatic potential and capacitance pdf
Capacitor MCQ Capacitor MCQ Capacitor MCQ Capacitor MCQ Capacitor MCQ Capacitor MCQ Capacitor MCQ Capacitor MCQ Capacitor MCQ Capacitor MCQ Capacitor MCQ Capacitor MCQ Capacitor MCQ Capacitor MCQ Capacitor MCQ Capacitor MCQ Capacitor MCQ Capacitor MCQ
Capacitor MCQ Capacitor MCQ Capacitor MCQ Capacitor MCQ Capacitor MCQ Capacitor MCQ

विनोद कुमार धाकड़ , electricalrojgar.com वेबसाइट पर संपादक की भूमिका मे है । इस वैबसाइट पर इलेक्ट्रिकल ब्रांच ( B. TECH , DIPLOMA , ITI ) के अभ्यर्थियों के लिए STUDY MATERIAL ,ONLINE MOCK TEST , RECRUITMENT INFORMATION अपडेट किए जाते है , उम्मीद करते है आपको इस वैबसाइट से जरूर मदद मिलेगी ।