CAPACITOR ( केपेसिटर )

What is CAPACITOR – केपेसिटर को आम बोलचाल की भाषा मे कंडेंसर भी कहा जाता है, हिन्दी मे केपेसिटर को संधारित्र कहते है , यह इलैक्ट्रिकल ओर इलेक्ट्रॉनिक्स का मूलभूत कम्पोनेंट है , CAPACITOR का प्रयोग कई उपकरणो मे होता है । CAPACITOR in Hindi

यह भी जाने – WHAT IS INDUCTOR ( INDUCTOR IN HINDI )

इस पोस्ट मे हम जानेंगे –

  • केपेसिटर क्या होता है(what is capacitor )
  • केपेसिटर का कार्य सिद्धांत (working principal of capacitor )
  • केपेसिटेन्स किसे कहते है ( what is capacitance )
  • केपेसिटर के प्रकार (type of CAPACITOR )
CAPACITOR ( केपेसिटर )
CAPACITOR ( केपेसिटर )

केपेसिटर क्या होता है(what is capacitor )

यह एक इलेक्ट्रॉनिक्स ओर इलैक्ट्रिकल दोनों मे उपयोग होने वाला घटक है , यह एक निष्क्रिय घटक है ,यह ऊर्जा का उत्पादन या खपत नहीं करता है , यह केवल ऊर्जा का भंडारण स्थिर विध्युत क्षेत्र के रूप मे करता है एवं वापस परिपथ को दे देता है । एक केपेसिटर डीसी पर ओपन सर्किट तथा एसी पर शॉर्ट सर्किट की तरह प्रभाव दिखाता है ।

केपेसिटर को बनाने के लिए धातु की दो प्लेटो के बीच अचालक पदार्थ भरा जाता है , अलग अलग अचालक( dielectric material ) पदार्थ भरने पर केपेसिटर के प्रचालन गुण भी अलग अलग देखने को मिलते है । जिनके आधार पर इलैक्ट्रिकल ओर इलेक्ट्रॉनिक्स के विभिन्न परिपथो मे केपेसिटर का प्रयोग अलग अलग जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जाता है ।

केपेसिटर का कार्य सिद्धांत (working principal of capacitor )

capacitor केपेसिटर का कार्य सिधान्त – केपेसिटर का कार्य सिद्धांत समझने के लिए पहले हमे कुचालक पदार्थो के एक गुण को जानना होगा । कुचालक पदार्थ सामान्यतः इलैक्ट्रिक करंट के प्रवाह का विरोध करते है, एवं इसके विपरीत चालक पदार्थ अपने अंदर धारा प्रवाह को सुगमता प्रदान करते है ।

किन्तु यदि धातु की दो समांतर प्लेटो के बीच कुचालक पदार्थ भर दिया जाए एवं दोनों प्लेटो पर विपरीत आवेश लगाया जाए तो एक प्लेट के पास धनावेश व दूसरी प्लेट के पास ऋण आवेश एकत्र होगा । यह आवेश का भंडारण स्थिर विध्युत क्षेत्र के रूप मे होता है।

इस प्रकार हम कह सकते है ,यदि धातु की दो समांतर प्लेटो के बीच कुचालक पदार्थ भर दिया जाए जाए तो यह एक केपेसिटर बन जाता है

केपेसिटेन्स किसे कहते है ( what is capacitance )

केपेसिटेन्स (capacitance) को धारिता भी कहा जाता है , केपेसिटेन्स का मात्रक फेरड होता है । केपेसिटर को परिपथ मे जोड़ने पर प्रति वॉल्ट आवेश के जुडने की दर धारिता कहलाती है । या हम कह सकते है की

” किसी केपेसिटर को एक वॉल्ट प्रदान करने पर उसमे यदि एक कुलम्ब आवेश का भंडारण होता है तो उस केपेसिटर की धारिता एक फेरड होगी । “

Q ∝ V

Q= CV

Q= CHARGE (आवेश ) / मात्रक -कुलम्ब C = capacitance (धारिता ) मात्रक – फेरड V = VOLTAGE (विभवान्तर ) मात्रक – वॉल्ट

केपेसिटेन्स की निर्भरता ( capacitance is depend on )

किसी केपेसिटर की धारिता ( केपेसिटेन्स capacitance ) तीन घटको पर निर्भर होती है ।

C= EA/D

C = capacitance – यह निम्न लिखित 3 कारणो पर निर्भर रहता है ।

  1. E= permittivity ( परावेध्युतांक ) मात्रक – किलो वोल्ट / मिली मिटर(kv/mm) – माध्यम का परावेध्युतांक बढ्ने पर केपेसिटर की धारिता बढ़ती है ।
  2. A= area of plates ( प्लेटो का क्षेत्रफल ) – प्लेटो का क्षेत्रफल बढ्ने पर भी केपेसिटर की धारिता बढ़ती है ।
  3. D = distance between plates ( प्लेटो के बीच की दूरी ) – प्लेटो के बीच की दूरी बढ्ने पर भी केपेसिटर की धारिता घटती है ।

संधारित्र के प्रकार (type of CAPACITOR )

अलग अलग अचालक ( dielectric material ) पदार्थ भरने पर केपेसिटर के प्रचालन गुण भी अलग अलग देखने को मिलते है । जिनके आधार पर इलैक्ट्रिकल ओर इलेक्ट्रॉनिक्स के विभिन्न परिपथो मे केपेसिटर का प्रयोग अलग अलग जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जाता है । केपेसिटर की बनावट मे उपयोग होने वाले अचालक पदार्थ के आधार पर ही केपेसिटर का वर्गीकरण किया जाता है ।

पेपर केपेसिटर ( PAPER CAPACITOR )

पेपर केपेसिटर ( PAPER CAPACITOR ) – इस प्रकार के केपेसिटर का निर्माण इम्प्रेगनेंट पेपर , क्राफ्ट पेपर , टिसु पेपर को मोम ओर तेल मे भिगोकर किया जाता है । इनकी धारिता 0.001 से 1µf होती है , तथा वोल्टेज रेंज 200 से 1600 वोल्ट होती है । ओर इस प्रकार के केपेसिटर का प्रयोग मोटर के स्टार्टिंग केपेसिटर ओर पावर फ़िल्टर केपेसिटर की तरह किया जाता है ।

इलेक्ट्रोलाइट केपेसिटर ( electrolyte capacitor )

इलेक्ट्रोलाइट केपेसिटर ( electrolyte CAPACITOR ) – इलेक्ट्रोलाइट केपेसिटर का निर्माण दो तरीके से किया जाता है , इस प्रकार के केपेसिटर का निर्माण करने के लिए एल्यूमिनियम आक्साइड ओर टेंटलम पेंटाक्साइड का प्रयोग किया जाता है ।

एल्यूमिनियम आक्साइड

इनकी धारिता 1 से 500 µf होती है , तथा वोल्टेज रेंज 5 से 500 वोल्ट होती है । ओर इस प्रकार के केपेसिटर का प्रयोग पावर सप्लाई केपेसिटर , स्पेस एलेक्ट्रोनिक केपेसिटर ,ओर पावर फ़िल्टर केपेसिटर की तरह किया जाता है ।

टेंटलम पेंटाक्साइड

इनकी धारिता 0.1 से 1000 µf ( माइक्रो फेरड ) होती है , तथा वोल्टेज रेंज 3 से 125 वोल्ट होती है । ओर इस प्रकार के केपेसिटर का प्रयोग लाउड स्पीकर के क्रास ओवर केपेसिटर की तरह किया जाता है ।

अभ्रक संधारित्र mica capacitor

इसके लिए सफ़ेद माइका ओर गुलाबी माइका का प्रयोग किया जाता है , इनकी सरंचना स्टेक्ड ओर बटन प्रकार होती है। इनकी धारिता बहुत कम 5pf से 10000 pf ( पिको फेरड ) होती है , तथा वोल्टेज रेंज 50 से 500 वोल्ट होती है । ओर इस प्रकार के केपेसिटर का प्रयोग उच्च आव्रत्ति केपेसिटर की तरह किया जाता है ।

चीनी मिट्टी के संधारित्र ( ceramic capacitor)

इसके लिए सिरेमिक पदार्थ Magnesium oxide (MgO), Titanium dioxide, Calcium oxide, Barium, Strontium का प्रयोग किया जाता है , इनकी सरंचना molded tube or substrate प्रकार होती है। इनकी धारिता बहुत कम 1pf से 10µf ( माइक्रो फेरड ) होती है , तथा वोल्टेज रेंज 50 से 500 वोल्ट होती है । ओर इस प्रकार के केपेसिटर का प्रयोग कपलिंग केपेसिटर , साधारण केपेसिटर की तरह किया जाता है ।

प्लास्टिक फिल्म के संधारित्र ( plastic film capacitor)

इसके लिए प्लास्टिक पदार्थ पोलिस्ट्रिन तथा पोलिप्रोपलीन का प्रयोग किया जाता है , इनकी धारिता 0.001 से 1µf ( माइक्रो फेरड ) होती है , तथा वोल्टेज रेंज 50 से 600 वोल्ट होती है । ओर इस प्रकार के केपेसिटर का प्रयोग कपलिंग केपेसिटर ओर अधिक स्टेबिलिटी हेतू प्रयुक्त केपेसिटर की तरह किया जाता है ।

काँच संधारित्र ( glass capacitor)

काँच संधारित्र ( glass capacitor) -इस प्रकार के केपेसिटर बनाने के लिए प्लास्टिक पतली ग्लास की परत का प्रयोग किया जाता है , इनकी धारिता 5 pf से 500 pf ( पिको फेरड ) होती है ओर इस प्रकार के केपेसिटर का प्रयोग बहुत अधिक आव्रत्ति वाले केपेसिटर की तरह किया जाता है ।

वायु संधारित्र ( air capacitor)

इस प्रकार के केपेसिटर बनाने के लिए किसी अचालक पदार्थ का प्रयोग नहीं किया जाता है वायु ही इस तरह के केपेसिटर मे अचालक माध्यम होती है , इनकी धारिता 500 µf तक होती है ओर इस प्रकार के केपेसिटर का प्रयोग ट्यूनिंग केपेसिटर की तरह किया जाता है ।

इस पोस्ट मे हमने जाना – केपेसिटर क्या होता है, केपेसिटर का कार्य सिद्धांत , केपेसिटेन्स किसे कहते है और केपेसिटर के प्रकार । आपको यह जानकारी कैसी लगी कमेन्ट करके जरूर बताए ।

4 thoughts on “CAPACITOR ( केपेसिटर )”

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